
बरेली। 125 साल पहले जिस बरेली क्लब लिमिटेड की स्थापना आर्मी अधिकारियों और सिविल समाज के बीच आपसी सामंजस्य, संवाद और सौहार्द के उद्देश्य से की गई थी, उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को हुई वार्षिक आम सभा (एजीएम) में क्लब की बेहतरी से जुड़े कई अहम मुद्दों पर सार्थक बहस हुई। बैठक में आर्मी और सिविल दोनों वर्गों की सक्रिय भागीदारी रही। क्लब की परंपरा के अनुरूप गरिमा बनाए रखते हुए प्रस्तावों पर गरमा गरम चर्चा की गई। जिससे अच्छी खासी सर्दी में क्लब के सदस्यों का तापमान बढ़ा रहा।
एजीएम में 15 सदस्यीय निदेशक मंडल के लिए जितने पद थे, उतने ही नामांकन आने से बोर्ड का गठन निर्विरोध हुआ। मंगलवार सुबह क्लब परिसर में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और सिविल सदस्यों की उपस्थिति के बीच ठीक 11 बजे क्लब सचिव लेफ्टिनेंट कर्नल कंवलजीत सिंह ने बैठक की शुरुआत कराई। परंपरा के अनुसार ब्रिगेडियर एच.पी.पी. सिंह, वीएसएम को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। अध्यक्ष ने मंच से बीते वर्ष की उपलब्धियों, नवीनीकरण कार्यों और प्रशासनिक सुधारों के बारे में जानकारी दी।
सभा में रखे गए प्रस्तावों पर सदस्यों ने विस्तार से अपने-अपने विचार रखे। सदस्यता शुल्क, खेल सुविधाओं का उपयोग, मासिक फीस और सदस्यता हस्तांतरण जैसे विषयों पर बहस हुई। कुछ प्रस्तावों पर निर्णय के लिए एनएसडीएल के माध्यम से ई-वोटिंग कराई गई, साथ ही मौके पर मतदान भी हुआ। अब सभी की निगाहें प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद घोषित किए जाने वाले परिणामों पर हैं। क्लब के सदस्य राजा चावला ने बताया कि सौहार्दपूर्ण वातावरण में वार्षिक सभा हुई। क्लब के सदस्य बरेली के मेयर उमेश गौतम ने सौरभ मेहरोत्रा, बिपिन अग्रवाल, निमित अग्रवाल और अजय शुक्ला की उपस्थित में वोट डाला।
सेना पक्ष से ब्रिगेडियर एच.पी.पी. सिंह, कर्नल पंकज पंत, कर्नल विशाल कुमार सिंह, कर्नल विनय गुरंग, ग्रुप कैप्टन राजीव रंजन, कर्नल अनुभव शर्मा, कर्नल अंकुर शर्मा, कर्नल अर्जुन सिंह तोमर और कर्नल अजीत बसवंत बोर्ड में चुने गए। सिविल से मैनेजमेंट कमेटी के सीनियर मेंबर राजा चावला, सौरभ मेहरोत्रा, अनंत बीर सिंह, बिपिन अग्रवाल, विजय कपूर और मनीष सहगल निर्विरोध निदेशक बने। सदस्यों ने इसे क्लब की पारंपरिक आर्मी–सिविल सहभागिता का प्रतिबिंब बताया।
क्लब की आमसभा के दौरान संदीप टंडन के बयान ने माहौल और गर्म कर दिया। उन्होंने कहा कि करीब 11 लाख रुपये की महंगी सदस्यता होने के बावजूद क्लब छोड़ने पर सिर्फ 50 हजार रुपये लौटाना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सदस्यता को ट्रांसफरेबल बनाने की मांग उठाई और कहा कि क्लब सेक्शन-8 के तहत जनहित के लिए है, लेकिन हकीकत में यहां जनहित से ज्यादा निजी एंटरटेनमेंट चल रहा है। उन्होंने सदन में सबसे तेज प्रतिक्रिया फीस में अंतर को लेकर दिखी। सिविल सदस्य जहां 1800 रुपये मासिक शुल्क देते हैं, वहीं डिफेंस सदस्य केवल 180 रुपये चुकाते हैं। सदस्यों ने इसे बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ बताया और कंपनी एक्ट के तहत समान व्यवहार की मांग की।
बरेली क्लब के सदस्य एडवोकेट शरद मिश्रा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि क्लब में पिछले तीन साल से ऑडिट ट्रेल सॉफ्टवेयर नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि यदि अनिवार्य डिजिटल रिकॉर्ड समय रहते नहीं सुधारे गए, तो मैनेजमेंट कमेटी को भारी जुर्माने और कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्व निदेशक राजीव गुप्ता ने एजीएम में सबसे संवेदनशील मुद्दा उछाला। उन्होंने कहा कि आर्मी यूनिट या आर्मी मैस कोई विधिक व्यक्ति नहीं है, ऐसे में उसे स्थायी सदस्य बनाए रखना गंभीर कानूनी जोखिम हो सकता है। यदि ऐसे सदस्यों के आधार पर कोरम, मतदान या निदेशक चुनाव हुए हैं, तो पूरा सिस्टम जांच के घेरे में आ सकता है। उन्होंने कहा कि क्लब के वायलाज नियम कानूनों को ऐसे ही नहीं बदला जा सकता है। इसके लिये पहले एक प्रस्ताव रजिस्ट्रार कंपनीज को भेजा जाये। उसी प्रस्ताव को क्लब की आम सभा में रखा जाये। 75 प्रतिशत बहुमत से पास होने पर उसे लागू किया जाये। इसकी सूचना भी कंपनीज रजिस्ट्रार को दी जाये।
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Updated on:
30 Dec 2025 08:28 pm
Published on:
30 Dec 2025 08:21 pm
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