
बरेली। ड्यूटी का बोझ, घर में मातम और सड़क पर मौत… यह सिर्फ एक हादसे की खबर नहीं, बल्कि सिस्टम की बेरुखी पर उठता बड़ा सवाल है। सड़क हादसे में एक सरकारी कर्मचारी की मौत ने न सिर्फ एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। बेटे का आरोप है कि घर में गम का माहौल होने के बावजूद छुट्टी नहीं दी गई और उसी ड्यूटी से लौटते वक्त उसके पिता की जान चली गई।
फतेहगंज पूर्वी क्षेत्र के गांव डगरौली निवासी 51 वर्षीय मोर सिंह बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के पद पर तैनात थे। 6 दिसंबर को ड्यूटी पूरी कर वह बाइक से घर लौट रहे थे। फरीदपुर हाईवे पर तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वह सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि वाहन चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने एंबुलेंस से उन्हें निजी अस्पताल पहुंचाया। गुरुवार को हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने वहां से रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मोर सिंह की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी ज्ञानेश्वरी देवी और चार बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। दर्द की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। परिजनों के अनुसार, 22 नवंबर को मोर सिंह की मां कमला देवी की पहले ही मौत हो चुकी थी। कुछ ही दिनों के भीतर मां और बेटे दोनों की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया। गांव में मातम पसरा है।
मृतक के बेटे विवेक यादव ने प्रशासन पर सीधे सवाल खड़े किए हैं। विवेक का कहना है कि मां की मौत के बाद घर में शोक था और पिता के लिए छुट्टी की मांग की गई थी, लेकिन अधिकारियों ने छुट्टी नहीं दी। विवेक का आरोप है—“अगर उस वक्त छुट्टी मिल जाती, तो आज मेरे पिता जिंदा होते।” परिवार ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालकर फरार वाहन और चालक की तलाश में जुटी है।
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Updated on:
19 Dec 2025 07:43 pm
Published on:
19 Dec 2025 06:11 pm
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