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दुआ कबूल होने पर पंडित ने बनवाई थी मस्जिद, आज भी वंशज संभाल रहे जिम्मा

बुधवार के दिन मस्जिद में लगती है खासी भीड़। इस कारण मस्जिद को बुध की मस्जिद नाम से जाना जाता है।

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बरेली। हमारे देश में आए दिन हिन्दू मुस्लिम को लेकर बहस होती रहती है, इसके बावजूद देशभर में साम्प्रदायिक सौहार्द कायम करने वाली तमाम मिसालें आज भी मौजूद हैं। इसका ताजा उदाहरण बरेली की बुध वाली मस्जिद में देखा जा सकता है। इसमस्जिद का निर्माण कई साल पहले पंडित दासी राम ने कराया था, तब से आज तक मस्जिद की देखभाल का जिम्मा पंडित दासी राम के वंशज ही निभा रहे हैं। आपसी भाईचारे की मिसाल बनी इस मस्जिद में बुधवार को हिन्दू और मुस्लिम समेत सभी धर्मों के लोग बड़ी तादाद में इबादत के लिए पहुंचते हैं। यही कारण है कि इस मस्जिद को बुध वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

औलाद की मांगी थी मन्नत
बुध वाली मस्जिद नया टोला मोहल्ला में स्थित है और इस समय मस्जिद की देखभाल पंडित राजेन्द्र कुमार का परिवार कर रहा है। पंडित राजेन्द्र कुमार ने पत्रिका को बताया कि उनके पूर्वज पंडित दासी राम के कोई औलाद नहीं थी जिसके बाद उन्होंने दुआ की थी कि औलाद पैदा होने पर वो मस्जिद का निर्माण कराएंगे। दुआ कबूल होने के बाद उन्होने इस मस्जिद का निर्माण कराया था। राजेन्द्र कुमार बताते है कि उनसे पहले उनके पिता पंडित द्वारिका प्रसाद इस मस्जिद की देखभाल करते थे और अब वे इसका जिम्मा संभाल रहे हैं।

सुबह पांच बजे खोलते है मस्जिद
पंडित राजेन्द्र कुमार ने बताया कि पिता जी के बाद अब उनका परिवार इस मस्जिद की देखभाल करता है। मस्जिद की चाभी उनके पास ही रहती है।राजेन्द्र कुमार रोजाना सुबह पांच बजे मस्जिद का ताला खोलते हैं और देखभाल करते हैं।

बुधवार को लगती है भीड़
वैसे तो मस्जिद में रोजाना ही इबादत होती है, लेकिन बुधवार को मस्जिद में खासी भीड़ इबादत के लिए पहुंचती है। इस दिन मस्जिद में हिन्दू मुस्लिम समेत सभी धर्मों के लोग मन्नत मांगने आते हैं।


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