
बरेली। पुलिस ने बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर फायरिंग की गुत्थी को महज आठ दिन में सुलझाकर गिरोह की पूरी कहानी सामने रख दी। इस खुलासे में सबसे अहम हथियार बना C-Trace सॉफ्टवेयर, जिसने मोबाइल नंबरों की कुंडली खोलकर अपराधियों तक सीधा रास्ता दिखा दिया।
एसएसपी अनुराग आर्य ने साफ कहा कि यह संगठित अपराध है, इसमें शामिल हर आरोपी को गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध किया जाएगा। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। बरेली पुलिस ने आठ दिन में जरायम की दुनिया के खलनायकों की कुंडली खोलकर रख दी। गैंग को ट्रेस कर उनके अंजाम तक पहुंचा दिया। अभिनेत्री के घर फायरिंग और हमले की घटना का पटाक्षेप कर दिया।
मुठभेड़ में घायल होकर पकड़े गए रामनिवास उर्फ दीपू ने स्वीकार किया कि उसे सिर्फ रेकी ही नहीं बल्कि एक स्पोर्ट्स बाइक चोरी करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। कई बार कोशिश के बावजूद वह बाइक नहीं चुरा सका।
7 सितंबर को सोनीपत के अनिल गैराज में हुई मीटिंग में रविंद्र और अरुण ने पूरी वारदात का ब्लूप्रिंट तैयार किया। रामनिवास को झुमका तिराहे और आस-पास की रेकी करने का टास्क मिला। 10 सितंबर को झुमका तिराहे पर लगे सीसीटीवी में रामनिवास कैद भी हुआ। उसने सुबह यात्री शेड पर सोकर तीन घंटे गुजारे और फिर इलाके की रेकी शुरू की। इसके बाद 11 सितंबर की तड़के विजय और नकुल ने पहली बार फायरिंग की और अगले दिन वारदात दोहराई गई।
इस केस में पुलिस ने पहली बार C-Trace सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। इसमें मोबाइल नंबर डालते ही Truecaller से लेकर ई-वॉलेट, फेसबुक, इंस्टाग्राम, फ्लिपकार्ट और नाइका तक की डिटेल सामने आ जाती है। किस नंबर से किस नाम पर अकाउंट बना, कब-कब पोर्ट हुआ, कौन-सा ईमेल ID जुड़ा – सब पता चल गया। यहां तक कि हर अकाउंट से जुड़े फोटो और सोशल मीडिया प्रोफाइल भी निकल आए। इसी तकनीक की मदद से पुलिस को आरोपियों के होटल, ठहराव और फर्जी आधार की असलियत का सुराग मिला। SSP अनुराग आर्य ने पुष्टि की कि अब पुलिस ने इस सॉफ्टवेयर को खरीद भी लिया है ताकि भविष्य में हर संगठित अपराध की जांच हाईटेक तरीके से हो सके।
एसएसपी ने बताया कि इस केस को सुलझाने के लिए छह पुलिस टीमों ने मिलकर काम किया। 3000 सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए – जिनमें स्मार्ट सिटी कैमरे, मोहल्ले और गांव के कैमरे भी शामिल थे। 250 से अधिक होटल-ढाबों पर पूछताछ हुई। सर्विलांस और साइबर सेल को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रखा गया। यही नहीं, बरेली पुलिस ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, यूपी एसटीएफ और हरियाणा काउंटर इंटेलीजेंस के साथ लगातार तालमेल रखा।
कोतवाली इंस्पेक्टर अमित पांडे और उनकी टीम ने लगातार सर्च और छापेमारी की। एसओजी प्रथम प्रभारी इंस्पेक्टर सुनील शर्मा के नेतृत्व में एसआई नवीन कुमार, हेड कांस्टेबल संजय कुमार, राहुल कुमार, मोहित कुमार, अविनेश कुमार और कांस्टेबल ऋषभ कुमार ने मुठभेड़ में मोर्चा संभाला।
थाना शाही प्रभारी धर्मेंद्र बिश्नोई व उनकी टीम ने मुठभेड़ में सक्रिय भूमिका निभाई।
गिरोह ने फायरिंग से पहले खुद को सनातन समर्थक दिखाने के लिए चोला पहना और आंवला तहसील स्थित रामनगर किला पर माथा टेकने भी पहुंचे। रामनिवास ने मीडिया से कहा मैं रोहित गोदारा और बाक्सर गैंग का आदमी हूं। दिशा पाटनी की बहन खुशबू ने संतों पर गलत बोला था, इसलिए हमला किया।
गिरोह ने बरेली में ठहराव के दौरान फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया। किसी में नाम-पता गलत था, किसी में आधार नंबर, लेकिन फोटो असली थे। चेहरे साफ दिखने के बावजूद पहचान मुश्किल थी। यहां भी C-Trace सॉफ्टवेयर ने ही बड़ा रोल निभाया और फर्जी पहचान को काटकर असली चेहरों तक पुलिस पहुंची।
01 पिस्टल 32 बोर, तमंचा 315 बोर
जिंदा व खोखा कारतूस
स्प्लेंडर बाइक (बिना नंबर प्लेट)
फर्जी आधार और मोबाइल डाटा
पुलिस ने कई धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं और सभी आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी कर रही है।
2 शूटर रविंद्र और अरुण ढेर
रामनिवास घायल होकर गिरफ्तार
अनिल समेत तीन आरोपी दबोचे गए
भारी मात्रा में हथियार और बाइक बरामद
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Published on:
20 Sept 2025 10:13 am
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