
आरोपी सचिव राजीव सक्सेना
बरेली। आजाद सहकारी आवास समिति लिमिटेड में करोड़ों रुपये के भूखण्ड घोटाले का मामला सामने आया है। समिति के पदाधिकारियों पर नियमों को ताक पर रखकर पार्क की जमीन समेत कई भूखण्ड बेहद कम कीमत पर बेचने का आरोप है। इस मामले में सहकारी अधिकारी दीपक कुमार राना ने इज्जतनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। जांच में सामने आया कि समिति के तत्कालीन सचिव राजीव सक्सेना ने वर्ष 2024 में चार बैनामे किए। इनमें से दो बैनामे समिति की पार्क की जमीन के थे, जिसे दो हिस्सों में बांटकर एक ही गैर-सदस्य महिला के नाम कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि यह जमीन पहले ही कानूनी रूप से शून्य घोषित की जा चुकी थी।
इन दो बैनामों का सरकारी सर्कल रेट करीब 84 लाख रुपये था, जबकि कागजों में समिति को सिर्फ 51 हजार 500 रुपये मिलना दिखाया गया। इसके अलावा दो अन्य भूखण्ड भी गैर-सदस्यों के नाम बेच दिए गए, जिनका सर्कल रेट लगभग 27 लाख रुपये से ज्यादा था, लेकिन बदले में केवल कुछ हजार रुपये ही दर्शाए गए। चारों बैनामों का कुल सर्कल रेट करीब एक करोड़ 11 लाख रुपये बताया जा रहा है, जबकि समिति को कुल मिलाकर मात्र 96 हजार 525 रुपये मिलना दिखाया गया। इस तरह समिति को एक करोड़ 10 लाख रुपये से ज्यादा की आर्थिक चपत लगने की बात सामने आई है।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जो रकम बैनामों में दिखाई गई, वह भी समिति के बैंक खाते में जमा नहीं कराई गई। जब सहकारी अधिकारी ने सचिव से दस्तावेज मांगे तो कोई रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया। समिति के पदाधिकारियों को भेजे गए नोटिस भी लेने से इंकार कर दिए गए। प्रबंध समिति के कई सदस्यों ने लिखित बयान देकर कहा है कि न तो उन्हें बैठकों की सूचना दी गई और न ही उन्होंने किसी बैनामे पर हस्ताक्षर किए। इससे फर्जी बैठकें और कागजी कार्रवाई करने का आरोप और गहराता जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इज्जतनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
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Updated on:
28 Dec 2025 08:07 pm
Published on:
28 Dec 2025 08:06 pm
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