
बरेली। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। यदि किसी कारण से पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से भूल गए हों या पितरों की तिथि याद नहीं हो तो इस तिथि पर श्राद्ध संपन्न किया जा सकता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि इस बार 28 सितंबर शनिवार को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के साथ शनि अमावस्या का भी विशेष योग बन रहा है,इस बार इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध का पहला भोग कौओं को अवश्य चढ़ायें।
पहला भोग कौओं को अवश्य चढ़ायें
मान्यताओं के अनुसार पुराणों में कौओं को देव पुत्र माना गया है, लोक कथा के अनुसार इंद्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले इंद्र देव का रूप धारण किया था।भगवान राम के अवतार लेने के बाद जब इंद्र के पुत्र जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता को घायल कर दिया था, तब भगवान श्री राम ने गुस्से में तिनके से ब्रह्मास्त्र चला कर जयंत की आँखें फोड़ दी थीं,जब उसने अपने किये पर छमा मांगी, तब भगवान श्री राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया हुआ भोग भोजन के रूप में पितरों को मिलेगा विशेषतौर पर श्राद्ध पक्ष में, तभी से श्राद्ध पक्ष में कौओं को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है। इसके साथ एक रहस्य यह भी है कि कौआ शनि देव का वाहन होने के कारण उसकी प्रसन्ता पर शनि देव का कुप्रभाव शनि की ढैय्या व साढ़े साती होने पर शनि देव की शांति होती है।इसके साथ ही पितृरों के प्रसन्न होने पर पितृ दोष एवं कालसर्प योग भी किसी हद तक शान्त होता है।पंच ग्रास में गाय, चींटी,कुत्ता,कौआ और अतिथि के ग्रास अवश्य निकालने चाहिये।
शनि अमावस्या पर पीपल वृक्ष की पूजा से करें पितृ दोष निवारण
पीपल वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। देवी-देवताओं के साथ ही पीपल में पितरों का निवास भी माना जाता है ।जो व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित हो उसको पितृरों की संतुष्टि के लिए पीपल वृक्ष का पूजन-अर्चन,दीप दान,अभिषेक आदि अवश्य करना चाहिए।पीड़ित व्यक्ति इस शनि अमावस्या के दिन प्रातः काल अथवा सांय काल गोधूलि की बेला में तांबे के पात्र में जल लेकर तथा घी का दीपक लेकर पीपल वृक्ष के पास जाएँ तत्पश्चात सर्वप्रथम पीपल वृक्ष में विराजमान पितृरों का स्मरण कर तांबे के पात्र के जल से पीपल का जलाभिषेक करें,तत्पश्चात घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर *पितृ गायत्री मंत्र* का उच्चारण कर अपने पितृरों का स्मरण करें,उनकी प्रसन्नता के लिए पीपल वृक्ष की तीन परिक्रमाएं करें।इस उपाय में यदि सम्भव हो तो प्रातः काल जलार्पण एवं परिक्रमा करें तथा दीपक प्रज्ज्वलन का कार्य सांय काल करें।इस उपाय में लोहे का पात्र वर्जित है।शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए शनिवार के दिन दीप दान करें एवं कच्चे सूत को पीपल वृक्ष पर लपेटना चाहिये।
Published on:
27 Sept 2019 06:44 pm
बड़ी खबरें
View Allबरेली
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
