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अगर चुनाव न हारते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे एनडी तिवारी

एनडी तिवारी को 1991 का लोकसभा चुनाव हारने की टीस भी उम्र भर रही।

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ND TIWARI

अगर चुनाव न हारते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे एनडी तिवारी

बरेली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी का दिल्ली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। एनडी तिवारी पिछले एक साल से बीमार चल रहे थे। नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहने के साथ ही वो आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके थे। एनडी तिवारी ने अपने राजनैतिक जीवन में तमाम चुनाव जीते लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में हार के कारण ही उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना भी टूट गया। एनडी तिवारी को 1991 का लोकसभा चुनाव हारने की टीस भी उम्र भर रही।

बहेड़ी के लोगों ने नहीं जिताया

1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए इस चुनाव में सहानुभूति की लहर के बाद भी नरायणदत्त तिवारी को हार का सामना करना पड़ा था। एनडी तिवारी ने नैनीताल लोकसभा में आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन बहेड़ी विधानसभा के लोगों ने उन्हें नकार दिया था जिसके कारण वो भाजपा के बलराज पासी से चुनाव हार गए थे। 1991 में बरेली जिले में आने वाली बहेड़ी विधानसभा नैनीताल लोकसभा का हिस्सा थी। वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना ने बताया कि 1991 के चुनाव में अभिनेता दिलीप कुमार भी एनडी तिवारी का प्रचार करने बहेड़ी आए थे उन्होंने बताया कि इस चुनाव में अगर एनडी तिवारी जीत जाते तो उनका प्रधानमंत्री बनना लगभग तय था।

बरेली में हुई शुरूआती शिक्षा
नरायणदत्त तिवारी की शुरूआती शिक्षा बरेली के केडीएम इंटर कॉलेज से हुई थी यही कारण है कि उनका बरेली से बेहद लगाव था। नरायणदत्त तिवारी ने बरेली की आंवला तहसील में इफ्को फैक्ट्री की स्थापना कराई थी जिससे आज हजारों की तादात में लोग जुड़े हुए है।


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