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उर्दू अनुवादकों को पहुंचाया फर्जी तरीके से लाखों का वित्तीय लाभ: कई अधिकारी फंसे, होगी रिकवरी

विकास विभाग के पांच उर्दू अनुवादकों को तृतीय वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) का लाभ गलत तरीके से देने का मामला सामने आया है।

बरेलीDec 06, 2024 / 07:04 pm

Avanish Pandey

बरेली। विकास विभाग के पांच उर्दू अनुवादकों को तृतीय वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) का लाभ गलत तरीके से देने का मामला सामने आया है। इस प्रकरण में नियुक्ति प्राधिकारी, विकास भवन के प्रशासनिक अधिकारी समेत कई अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। वित्त एवं लेखाधिकारी रामआसरे की जांच में यह अनियमितता पकड़ी गई। उन्होंने आयुक्त ग्राम्य विकास, जिलाधिकारी, और सीडीओ को दोषी अधिकारियों और अनुवादकों से रिकवरी और अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा है।

ऐसे हुआ मामला उजागर

2023 में कृषि एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पांच उर्दू अनुवादकों को गलत तरीके से 4600 रुपये ग्रेड पे के तहत तृतीय एसीपी का लाभ दिया गया। यह लाभ उच्चाधिकारियों की स्वीकृति और नियमों का पालन किए बिना प्रदान किया गया था। 13 सितंबर 2023 को आयोजित एक बैठक में निर्णय नहीं हो सका। इसके बाद तत्कालीन परियोजना निदेशक तेजवंत सिंह ने 25 सितंबर को प्रशासनिक अधिकारी श्रीराम शर्मा के माध्यम से अपनी राय दर्ज करवाई। उन्होंने तृतीय एसीपी का लाभ न देने की सिफारिश की थी।

4200 की जगह दे दिया 4600 ग्रेड पे

हालांकि, डीडीओ दिनेश कुमार यादव ने एक नई समिति गठित की, जिसमें वित्त और लेखा संवर्ग के रंजीत कुमार और विकास खंडेलवाल, प्रशासनिक संवर्ग के कुलदीप कुमार और शैली गोविल शामिल थे। रंजीत कुमार ने केवल 4200 रुपये के ग्रेड पे की सिफारिश की, लेकिन डीडीओ ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी महीपाल सिंह की राय के आधार पर 4600 रुपये का लाभ दे दिया।

लेखाधिकारी का आरोप

लेखाधिकारी रामआसरे ने बताया कि यह निर्णय न केवल प्रशासनिक नियमों के विपरीत है, बल्कि इसमें सरकारी धन का दुरुपयोग भी हुआ। स्क्रीनिंग कमेटी में महीपाल सिंह को शामिल करने की कोई अधिकारिक स्वीकृति नहीं थी। यह कदम हाईकोर्ट के आदेश और शासनादेशों का उल्लंघन है।

2021 से लाभ, अब रिकवरी का डर

गलत तरीके से एसीपी का लाभ 2021 से दिया जा रहा था। इस प्रकरण में उर्दू अनुवाद संघ के संरक्षक कमर जैदी का भी नाम शामिल है। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने रिश्तेदार को एसीपी दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे। अब इस प्रकरण की रिपोर्ट आयुक्त ग्राम्य विकास को भेजे जाने के बाद दोषी अधिकारियों और अनुवादकों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

प्रदेश भर में जारी हुए रिकवरी आदेश

एडिशनल कमिश्नर सुधा वर्मा ने 2022 में आदेश जारी करते हुए कहा था कि उर्दू अनुवादकों को 26 वर्ष की सेवा पर तृतीय एसीपी का लाभ नहीं दिया जाएगा। जहां भी ऐसा लाभ दिया गया है, वहां से वेतन रिकवरी का आदेश दिया गया है।

डीडीओ का बयान

दिनेश कुमार यादव, जिला विकास अधिकारी, ने कहा:

“मेरे स्तर से कोई चूक नहीं हुई है। वित्त एवं लेखाधिकारी रामआसरे पर भी कई जांचें चल रही हैं। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों पर मैंने उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।”

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