मस्जिद में हुआ विरोध
निदा के पिता अपने घर के पास ही दरगाह शाहदाना वली स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने जाते हैं, लेकिन इस बार जब वो नमाज पढ़ने पहुंचे तो कुछ लोगों ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि आपकी बेटी इस्लाम से खारिज है इसलिए आप यहां नमाज नहीं पढ़ सकते। इस बीच नमाज पढ़ने आए एक व्यक्ति ने मस्जिद के इमाम से सवाल किया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी किया जा चुका है, क्या उसके साथ नमाज पढ़ी जा सकती है। इस पर इमाम शुजाअत खान ने जवाब दिया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी हो उसके साथ नमाज नहीं पढ़ी जा सकती। आरोप है कि इमाम के जवाब से भीड़ भड़क गई और निदा के पिता को घेर लिया।
निदा के पिता अपने घर के पास ही दरगाह शाहदाना वली स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने जाते हैं, लेकिन इस बार जब वो नमाज पढ़ने पहुंचे तो कुछ लोगों ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि आपकी बेटी इस्लाम से खारिज है इसलिए आप यहां नमाज नहीं पढ़ सकते। इस बीच नमाज पढ़ने आए एक व्यक्ति ने मस्जिद के इमाम से सवाल किया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी किया जा चुका है, क्या उसके साथ नमाज पढ़ी जा सकती है। इस पर इमाम शुजाअत खान ने जवाब दिया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी हो उसके साथ नमाज नहीं पढ़ी जा सकती। आरोप है कि इमाम के जवाब से भीड़ भड़क गई और निदा के पिता को घेर लिया।
थाने में हुआ समझौता
पिता के साथ बदसलूकी की सूचना पर निदा और पुलिस मौके पर पहुंचे और निदा के पिता को सुरक्षित घर पहुंचाया गया। इस मामले में बारादरी थाने में शिकायत की गई जिसके बाद दोनों पक्षों में लिखित समझौता हो गया।समझौते में लिखा गया है कि आगे से निदा के भाई और पिता को मस्जिद में नमाज पढ़ने से नहीं रोका जाएगा। समझौते में एक पक्ष की तरफ से जावेद रज़ा कादरी और अब्दुल वाजिद जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से निदा खान और उनके पिता मुसर्रत यार खां ने साइन किए हैं।
पिता के साथ बदसलूकी की सूचना पर निदा और पुलिस मौके पर पहुंचे और निदा के पिता को सुरक्षित घर पहुंचाया गया। इस मामले में बारादरी थाने में शिकायत की गई जिसके बाद दोनों पक्षों में लिखित समझौता हो गया।समझौते में लिखा गया है कि आगे से निदा के भाई और पिता को मस्जिद में नमाज पढ़ने से नहीं रोका जाएगा। समझौते में एक पक्ष की तरफ से जावेद रज़ा कादरी और अब्दुल वाजिद जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से निदा खान और उनके पिता मुसर्रत यार खां ने साइन किए हैं।
निदा के लिए जारी हुआ था फतवा
तलाक पीड़ित महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रही निदा खान के खिलाफ दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता से फतवा जारी किया गया था जिसमें निदा खान को इस्लाम से खारिज कर दिया गया है। फतवे के अनुसार निदा की मदद करने वाले, उससे मिलने जुलने वाले मुसलमानों को भी इस्लाम से खारिज किया जाएगा। निदा अगर बीमार हो जाती हैं तो उसको दवा भी नहीं दी जाएगी। निदा की मौत पर जनाजे की नवाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं निदा के मरने पर उसे कब्रिस्तान में दफनाने पर भी रोक लगा दी गई है।
तलाक पीड़ित महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रही निदा खान के खिलाफ दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता से फतवा जारी किया गया था जिसमें निदा खान को इस्लाम से खारिज कर दिया गया है। फतवे के अनुसार निदा की मदद करने वाले, उससे मिलने जुलने वाले मुसलमानों को भी इस्लाम से खारिज किया जाएगा। निदा अगर बीमार हो जाती हैं तो उसको दवा भी नहीं दी जाएगी। निदा की मौत पर जनाजे की नवाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं निदा के मरने पर उसे कब्रिस्तान में दफनाने पर भी रोक लगा दी गई है।
निदा ने पहले ही जताई थी आशंका
फतवा जारी होने के बाद निदा खान ने खुद को और परिवार को जान का खतरा बताया था। निदा के अनुसार फतवा जारी होने से भीड़ उन पर या परिवार पर हमला कर सकती है। फतवा जारी होने के बाद निदा की चोटी काटने और पत्थर मार कर देश से निकालने का तालिबानी एलान भी हो चुका है। अब उनके पिता को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक दिया गया।
फतवा जारी होने के बाद निदा खान ने खुद को और परिवार को जान का खतरा बताया था। निदा के अनुसार फतवा जारी होने से भीड़ उन पर या परिवार पर हमला कर सकती है। फतवा जारी होने के बाद निदा की चोटी काटने और पत्थर मार कर देश से निकालने का तालिबानी एलान भी हो चुका है। अब उनके पिता को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक दिया गया।