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एक शाम वसीम बरेलवी के नाम…बोले मोहब्बत नासमझ होती है, समझना जरूरी है, जाने खास अंदाज

बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा में श्रोताओं के साथ नामचीन शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी ने अपनी ही गजलों को सुनने और गुनगुनाने का लुत्फ उठाया। मोहब्बत नासमझ होती है समझाना जरूरी है को प्रस्तुत कर युवा दिलों को प्यार का अहसास कराया। एक शाम प्रोफेसर वसीम बरेलवी का साथ पाकर श्रोताओं ने जमकर आनंद उठाया।

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मुंबई से महेंद्र कपूर विशेष रूप से बरेली पहुंचे थे

कार्यक्रम के आरंभ में एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक और चेयरमैन देवमूर्ति ने वसीम बरेलवी का स्वागत किया। वसीम बरेलवी ने बरेली की अपने 62 वर्ष के मंच के साथ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 6 फरवरी 1962 का दिन उन्हें आज भी याद है जब बरेली में उनकी गजलों को गाने के लिए मुंबई से महेंद्र कपूर विशेष रूप से बरेली पहुंचे थे। तब से आज तक तमाम महफिलें से चुकी हैं। अपने लोगों के बीच होने से आज की महफिल और भी खास है।

मैं आसमा पे बहुत देर, दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है को किया प्रस्तुत

उन्होंने कहा कि फाइनल आर्ट्स की सारी विधाओं के इंस्टीट्यूट देश भर में हैं। लेकिन इसकी सबसे बड़ी विधा गायन को सिखाने का काम जो रिद्धिमा में हो रहा है और कहीं नहीं। इसका पूरा श्रेय देव मूर्ति जी को जाता है। जिन्होंने इसकी स्थापना कर इसके संरक्षण का प्रयास किया है। कार्यक्रम का आगाज अतिथि गायक के रूप में डा. रीता शर्मा ने गजल शब ए मैखाना ये जो दिल पे गरा गुजरेगी को अपनी आवाज देकर की। एसआरएमएस की शैक्षणिक संस्थाओं के प्लेसमेंट सेल के निदेशक डा.अनुज कुमार ने गायन के विद्यार्थी के रूप में वसीम बरेलवी की गजल मैं इन उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा को अपने स्वरर दिए। गायन की विद्यार्थी डा.रजनी अग्रवाल को गायन गुरु स्नेह आशीष दुबे का साथ मिला। गायन के विद्यार्थियों डा. रजनी, डा. अनुज, पंखुड़ी गुप्ता, शालिनी पांडेय और सताक्षी अग्रवाल ने अपने साये को इतना ना समझाने, मैं आसमा पे बहुत देर, दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है को प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

वादन गुरु उमेश मिश्रा (सारंगी), कुंवर पाल (सितार), सूर्यकांत चौधरी (वायलिन), टुकुमनी सेन (हारमोनियम), सोनू पांडेय (बांसुरी), आशीष सिंह (कीबोर्ड), अमरनाथ और सुमन बिस्वास (तबला, एग शेकर्स और चिमस) ने भी अपने अपने वाद्ययंत्रों के साथ गायकों का बखूभी साथ निभाया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति, आशा मूर्ति, ऋचा मूर्ति, डा. अशोक अग्रवाल, इंद्रदेव त्रिवेदी, अवनीश यादव, सुरेश ठाकुर, रंजीत वालिया, रोहित राकेश, गुरु मेहरोत्रा, सुरेश सुंदरानी, सुभाष मेहरा, डा. प्रमेंद्र महेश्वरी, डा.एमएस बुटोला, डा. आरपी सिंह, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुराग मोहन, डा. आलोक खरे, गायन गुरु प्रियंका ग्वाल, गायन गुरु स्नेह आशीष दुबे, इंदू परडल, डा. रीता शर्मा आदि मौजूद रहे।


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