
प्रत्याशी बदलने पर परिणाम भी होगा काफी रोचक
लगभग पांच दशकों से बरेली में सक्रिय रहे सांसद संतोष गंगवार की पूरे रोहिलखंड क्षेत्र में एक अलग राजनीतिक पहचान है। इसका लाभ लेने के स्थान पर आज के दौर की भाजपा ने प्रत्याशी बदलकर जो प्रयोग किया है उसका परिणाम वाकई में काफी रोचक होगा। ज्यादातर बरेलियंस का यह मानना है कि पिछले 35 वर्षों से बरेली लोकसभा सीट से एक बार को छोड़कर आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का टिकट काटने के बाद भाजपा के टिकट चयन कर्ताओं ने भाजपा के परंपरागत गढ़ में अनावश्यक चुनौती देकर मानो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी सी मार ली है।
बिरादरी के नाम पर समर्थन करने की सोच पचा नहीं पा रहा कुर्मी समाज
संतोष से उम्र में ज्यादा होने पर भी महज एक फिल्मी बैक ग्राउंड के नाते हेमा मालिनी को और देवीलाल के परिवार के 79 वर्षीय रणजीत चौटाला को भाजपा से चुनाव लड़ाये जाने को लेकर भाजपा प्रत्याशी के केवल बिरादरी के नाम पर समर्थन करने की सोच को बरेली, पीलीभीत, बदायूं, रामपुर व आंवला और शाहजहांपुर का कुर्मी समाज पचा नहीं पा रहा है। जीती जिताई सीट के ऊपर प्रत्याशी बदलने का दाव खेलने के रणनीति कारों को खुद भी बरेली के साथ ही इन 6 सीटों पर अब भाजपा की जीत की राह काफी कठिन लगने लगी है।
कुर्मी समाज ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान
पटेल छात्रावास में हई कुर्मी समाज की सभा की बैठक के बाद पदाधिकारियों ने मेयर के इस्तीफे की मांग के साथ ही चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर डाला। बताया जाता है कि कुर्मी समाज के बीच में भारी रोष इस बात को लेकर है कि बिना संतोष का नाम लिए, जब सीधे उनकी और इंगित करते हुए, कुर्मी क्षत्रप संतोष गंगवार को गलत कहा गया उस समय जो भाजपा प्रत्याशी चुपचाप यह सुनकर मुस्कराते रहे। चुने जाने पर वे कुर्मियों के हितों का ध्यान कैसे रख पाएंगे।
Published on:
13 Apr 2024 10:24 pm
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