28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

pitru paksha : श्राद्ध कर्म के लिए इन 42 स्थानों का है विशेष महत्त्व

pitru paksha में गया में किया गया पिंडदान और श्राद्ध कर्म सबसे ज्यादा मान्य है इसके साथ ही इन 42 प्रमुख स्थानों पर श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शान्ति मिलती है।

4 min read
Google source verification

पितृपक्ष (pitru paksha) में श्राद्ध (shradh) कर्म और पिंडदान (Pind Dan) का विशेष महत्त्व है। भारतवर्ष में पितृ दोष शान्ति के लिए 42 प्रमुख तीर्थ स्थान हैं। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार (pitru paksha) में गया में किया गया पिंडदान और श्राद्ध कर्म सबसे ज्यादा मान्य है इसके साथ ही इन 42 प्रमुख स्थानों पर श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शान्ति मिलती है।

1. देव प्रयाग (उत्तराखण्ड):- यह भागीरथी एवं अलखनन्दा का संगम है। यहां पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण आदि किया जाता है।
2. त्रियूगीनारायण (सरस्वती कुण्ड):- रूद्र प्रयाग के समीप इस तीर्थ पर भगवान नारायण, भू-देवी एवं लक्ष्मी देवी विराजमान हैं। यहां सरस्वती नदी पर स्थित रूद्र कुण्ड स्नान, विष्णु कुण्ड मार्जन, ब्रह्मकुण्ड आश्वन और सरस्वती कुण्ड तर्पण के लिए हैं।
3. मदमहेश्वर (मध्यमेश्वर):- केदारधाम पर स्थित इस तीर्थ पर भगवान शंकर की नाभि प्रतिष्ठित है। यह तीर्थ पंच केदार में शामिल द्वितीय केदार है।
4. रूद्रनाथ:- यह तीर्थ पंच केदार में से एक तुंगनाथ के समीप स्थित है।
5. बद्रीनाथ (ब्रह्म कपाल शिला):- अलखनन्दा नदी के किनारे ब्रह्म कपाल (कपाल मोचन) तीर्थ है। यहां पिण्डदान किया जाता है।
6. हरिद्वार (हरि की पैड़ी):- यहां सप्त गंगा, त्रि-गंगा और शक्रावर्त में विधिपूर्वक देव ऋषि एवं पितृ तर्पण करने वाला पुण्यलोक में प्रतिष्ठित होता है। तदन्तर कनखल में पवित्र स्नान किया जाता है।
7. कुरू क्षेत्र (पेहेवा):- पंजाब के अम्बाला जिले में सरस्वती के दाहिने तट पर स्थित इस तीर्थ को अधिक पुण्यमय माना जाता है।
8. पिण्डास्क (हरियाणा):- इसे पिण्ड तारक तीर्थ भी कहते हैं। यहां स्नान करके पितृ तर्पण किया जाता है।
9. मथुरा (धु्रवघाट):- मथुरा में यमुना किनारे 24 प्रमुख घाटों में से एक धु्रव घाट है। इसके पास धु्रव टीले पर छोटे मंदिर में धु्रव जी का विग्रह है। इसे पितृ तर्पण के लिए प्रधान माना जाता है।
10. नैमिषारण्य (उत्तर प्रदेश):- बालामऊ जंक्शन के पास नैमिषारण्य में तपस्या, श्राद्ध, यज्ञ, दान इत्यादि की पूजा एंव क्रिया सात जन्मों के पापों को दूर करती है।
11. धौतपाप (हत्याहरण तीर्थ):- नैमिषारण्य से लगभग 13 किमी दूर गोमती नदी के किनारे स्थित इस तीर्थ पर स्नान एवं श्राद्ध तर्पण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
12. बिठूर (ब्रह्मावर्त):- कानपुर के निकट बिठूर नामक स्थान है, यहां गंगा जी के कई घाटों में प्रमुख ब्रह्मा घाट है।
13. प्रयागराज:- यहां श्राद्ध एवं पितृ तर्पण करने से बहुत अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
14. काशी (मणिकर्णिका घाट):- यह पुरी भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसी हुई है और प्रलय में भी इसका नाश नहीं होता है। यहां श्राद्ध एवं पितृ तर्पण करने से पितृ तृप्त होकर सभी सुख प्रदान करते हैं।
15. अयोध्या (उत्तर प्रदेश):- सप्त पुरियों में अयोध्या को प्रथम पुरी माना गया है। यहां सरयू नदी पर पितृ तर्पण एवं श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
16. गया (बिहार ):- यह भारत का प्रमुख पितृ तीर्थ है। पुराणों के अनुसार पितृ कामना करते हैं कि उनके वंश में कोेई ऐसा पुत्र हो जो गया जाकर उनका श्राद्ध करे। गया में पिण्डदान से पितृ को अक्षय तृप्ति प्रदान होती हैै।
17. बोधगया (बिहार):- यहां भगवान बुद्ध का विशाल मंदिर है। यहां पितृ तर्पण एवं श्राद्धकर्म का विशेष महत्व है।
18. राजगृह (बिहार):- यह हिन्दू, बौद्ध एवं जैन तीनों धर्माें का तीर्थ स्थल है। यहां पुरूषोत्तम मास में श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होते हैं।
19. परशुराम कुण्ड (असम):- पूर्वकाल में इसे श्राद्धकर्म के लिए बहुत पवित्र माना जाता था।
20. याजपुर (उड़ीसा):- यहां श्राद्ध एवं तर्पण आदि का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था।
21. भुवनेश्वर (उड़ीसा):- यहां काशी के समान अत्यधिक शिव मंदिर हैं। इसे उत्कल-वाराणसी और गुप्त काशी भी कहा जाता है। श्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए यह पवित्र स्थान है।
22. जगन्नाथपुरी ( उड़ीसा):- भारत के पावन चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी है। यह क्षेत्र श्राद्ध एवं पितृकर्म के लिए अत्यन्त पावन माना जाता है।
23. उज्जैन (मध्यप्रदेश):- यहां बहती शिप्रा नदी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न मानी जाती है, जिस पर कई घाट पर मंदिर बने हैं, महाकाल के इस स्थान पर श्राद्ध करने से पितृ पूर्ण तृप्त होते हैं।
24. अमर कण्टक (मध्यप्रदेश):- ऐसा माना जाता है कि सरस्वती का जल तीन दिन में, यमुना का एक सप्ताह में तथा गंगा का जल छूते ही पवित्र कर देता है।
25. नासिक (महाराष्ट्र):- यहां बहने वाली गोदावरी नदी भारत की प्रसिद्ध सात नदियों में से एक है। यहां पितृ की संतुष्टि हेतु स्नान तर्पण आदि कर्म किये जाते हैं।
26. त्र्यम्बकेश्वर (महाराष्ट्र):- यहां महर्षि गौतम ने तपस्या कर शिव जी को प्रसन्न किया था। पितृ दोष शान्ति का यह प्रमुख स्थान है।
27. पंढरपुर (महाराष्ट्र):- यहां भीमा नदी है, जिसे चन्द्रभागा भी कहा जाता है। यहां भगवान श्री बिट्ठल का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जोकि पितृकर्म के लिए अत्यन्त श्रेष्ठ माना गया है।
28. लोहार्गल (सीकर राजस्थान):- यहां देशभर के लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। यहां मुख्य तीन पर्वत से निकलने वाली सात धारायें हैं।
29. पुष्कर (अजमेर राजस्थान):- अधिकतर लोग हरिद्वार आदि तीर्थ में अस्थि विसर्जन के बाद पुष्कर में आकर पिण्डदान करते हैं।
30. तिरूपति (तमिलनाडू):- यह श्राद्ध के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है। यहां कपिल तीर्थ में स्नान, बैंकटाचल पर बालाजी दर्शन के बाद ऊपर के अन्य तीर्थ दर्शन के बाद तिरूपति में गोविन्दराज आदि के दर्शन किये जाते हैं।
31. शिवकांची (सर्वतीर्थ सरोवर तमिलनाडू):- मोक्षदायिनी सप्त पुरियों में शामिल कांची हरिहरात्मकपुरी है। इसके शिवकांची और विष्णुकांची दो भाग हैं। भगवान शिव और विष्णु का क्षेत्र एंव शक्ति सति स्थान होने के कारण इसे अत्यन्त पावन पितृ तीर्थ माना गया है।
32. कुम्भ कोणम (केरल):- कावेरी नदी के तट पर स्थित यहां मुख्य तीर्थ महामघम सरोवर है।
33. रामेश्वरम (लक्ष्मणतीर्थ):- यहां पर पिण्डदान करने से पितृगण पूर्ण रूप से संतुष्ट होते हैं।
34. दर्भशयनम्:- यहां भगवान राम ने दर्भशय्या पर शयन किया था। इसे भी श्राद्ध आदि के लिए मुख्य तीर्थ माना जाता है।
35. सिद्धपुर (गुजरात), 36. द्वारकापुरी (गुजरात):-श्रीकृष्ण का धाम होने के कारण यहां श्राद्ध करने से पितृ को पूर्ण तृप्ति प्राप्त होती है।
37. नारायणसर (गुजरात):- यहां आदि नारायण, लक्ष्मी नारायण, गोबर्धनन्नाथ आदि के मंदिर हैं। अतः नारायण सरोवर के पास पितृ की तृप्ति का तीर्थ स्थान है।
38. प्रभास-पाटण (वेरावल):- यहां अग्निकुण्ड, ज्योर्तिलिंग सोमनाथ, अहिल्याबाई इत्यादि कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस क्षेत्र से प्राची त्रिवेणी संगम पर भालक तीर्थ भी है। जहां श्री कृष्ण को पैर में बाण लगा था।
39. शूलपाणी (गुजरात):- नरवदा तट के मुख्य तीर्थाें में शामिल शूलपाणी तीर्थ पर शूलपाणी महादेव का मंदिर है।
इसके अलावा पिंडदान के लिए चाणोद, श्रीरंगम, और रीवा भी प्रमुख स्थान है।


बड़ी खबरें

View All

बरेली

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग