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बरेली

रोडवेज बस घोटाला: थाने में खड़ी रहीं गाड़ियों की मरम्मत के नाम पर फर्जी बिलों के जरिए लाखों की हेराफेरी

रोडवेज बसों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का घोटाला सामने आया है। जांच में पता चला कि क्षतिग्रस्त बसें थाने में खड़ी रहीं, लेकिन कार्यशाला में उनकी मरम्मत के फर्जी बिल तैयार किए गए।

बरेलीNov 26, 2024 / 11:36 am

Avanish Pandey

बरेली। रोडवेज बसों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का घोटाला सामने आया है। जांच में पता चला कि क्षतिग्रस्त बसें थाने में खड़ी रहीं, लेकिन कार्यशाला में उनकी मरम्मत के फर्जी बिल तैयार किए गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छह ऐसी बसों की मरम्मत दर्शाई गई, जो रोडवेज के बेड़े में थीं ही नहीं।

डेढ़ सौ गाड़ियों में घोटाले का आरोप

150 से अधिक बसों में गैरजरूरी काम दिखाकर बिल पास कराए गए। मामले के उजागर होने के बाद परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि संबंधित फर्म के भुगतान से दो बार में सात लाख रुपये की कटौती की गई है। बरेली और रुहेलखंड डिपो की बसों की मरम्मत का काम एक निजी फर्म को सौंपा गया था। मरम्मत के बाद फर्म द्वारा बसों के नंबर और किए गए कार्यों का विवरण देते हुए बिल जमा किया जाता है। इन बिलों का सत्यापन डिपो के सीनियर फोरमैन और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (एआरएम) द्वारा किया जाता है। इसके बाद सेवा प्रबंधक की मंजूरी से भुगतान किया जाता है।

फर्जी बिलों का सिलसिला

पिछले छह महीनों में बरेली डिपो में मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल तैयार किए गए।
बस संख्या यूपी 25 बीडी 1990 अगस्त में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 15 दिन तक थाने में खड़ी रही, लेकिन डिपो में उसकी मरम्मत के लिए बिल पास कर दिया गया।
चार बसें (1705, 1754, 1620 और 3045) डिपो के बेड़े में मौजूद ही नहीं थीं, फिर भी उनकी मरम्मत के नाम पर बिल बनाकर पास किया गया। कई बसों में गैरजरूरी काम दर्शाते हुए भुगतान किया गया।

सीनियर फोरमैन ने मानी गड़बड़ी

सीनियर फोरमैन नवाबुद्दीन ने माना कि फर्जी बिल पास किए गए। उन्होंने कहा, “थाने में खड़ी बसों और गैरमौजूद गाड़ियों की मरम्मत के नाम पर गड़बड़ी की गई। मैंने इस मुद्दे पर उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया है।”

असामान्य मरम्मत कार्य

बीएस-6 श्रेणी की नई बसों में उन पुर्जों की मरम्मत के बिल पास किए गए, जो इन गाड़ियों में होते ही नहीं।

जिन बसों में एक फैन बेल्ट होती है, उनके लिए दो फैन बेल्ट के बिल पास कर दिए गए।
बिना कमानी वाली बसों में भी कमानी का काम दिखाया गया।

पिछले साल भी हुआ था घोटाला

मरम्मत में फर्जीवाड़े का खुलासा 2023 में भी हुआ था। उस समय साईं इंटरप्राइजेज नामक फर्म को काली सूची में डाल दिया गया था। तत्कालीन सेवा प्रबंधक संजय यादव पर भी आरोप लगे थे और उनका तबादला कर दिया गया था। सेवा प्रबंधक धनजी राम ने कहा, “गड़बड़ी वाले कुछ बिलों का भुगतान रोक दिया गया है। संबंधित फर्म के सात लाख रुपये काटे गए हैं। मामले में सीनियर फोरमैन को नोटिस दिया गया है, और जांच जारी है। दोषियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

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