ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन ने सरकार के इस कदम के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि हुकूमत काफ़ी दिनो से तीन तलाक को लेकर मुद्दा बनाये हुए है
बरेली। केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तलाक से बचाने वाला तीन तलाक का नया बिल शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया। लोकसभा में बिल पेश होने के बाद जहां मुस्लिम महिलाओं ने खुशी जाहिर की है वहीं उलेमा इस बिल से परेशान नजर आ रहे हैं। ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन ने सरकार के इस कदम के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि हुकूमत काफ़ी दिनो से तीन तलाक को लेकर मुद्दा बनाये हुए है, केन्द्र सरकार अच्छी तरह से जानती है कि मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी कमज़ोरी तीन तलाक है इसलिए हुकूमत ने दुख्ती़ हुई नब्ज़ पर हाथ रखा है। इससे मुस्लिमों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
ये भी पढ़ें भाजपा की जीत तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की जीत- निदा खान triple talak bill” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/06/22/img-20161205-wa0028-1480943520_835x547_4740678-m.jpg”>90 प्रतिशत महिलाएं शरीयत पर करती है अम्ल मौलाना ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार अगर बिल में कुरान व हदीस मे बताये गये वसूल व ज़ावतो का ख़याल रखतीं है तो हम इस बिल का समर्थन करेगें। महिलाओं के साथ हो रही ज़ातियो व नाइन्साफ़ियो का निस्तारण केन्द्र सरकार व इस्लामिक संस्थानो को अवश्य करना चाहिए। केंद्र सरकार को संसद में तीन तलाक पर कानून बनाने की जरूरत क्यों पेश आयी ये गम्भीर सवाल इस्लामिक संस्थानो के जिम्मेदारों पर उठता है। अगर मुस्लिम महिलाओं के मसाइल को हल करने के लिए ये लोग गम्भीर होते तो घर के मसले को घर ही में हल करने की कोशिश करते तो ये मुस्लिम महिलाएं थाना पुलिस व कोर्ट कचहरी नहीं जाती क्यों कि 90फीसद महिलाए इस्लामी शरियत पर अम्ल करती है।