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बरेली में मोहर्रम के जुलूस में अब नहीं होगा हिन्दू मुस्लिम टकराव, जाने ऐसा क्या हुआ

मोहर्रम के दौरान बरेली में होने वाला हिंदू मुस्लिम टकराव और विवाद अब नहीं होगा। इसको लेकर पुलिस प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है। पुराने शहर के वार्ड संख्या 62 चक महमूद में मोहर्रम के जुलूस निकलते हैं। हर साल जुलूस में निकलने वाले तख्त के लिए 6 से 10 फीट गहरा गड्ढा सड़क पर किया जाता है। अतिसंवेदनशील इलाके में शनिवार को दोनों धर्मों के आपसी पहल और पुलिस की समझ ने विवाद को सुलझा दिया है।

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बरेली। मोहर्रम के दौरान बरेली में होने वाला हिंदू मुस्लिम टकराव और विवाद अब नहीं होगा। इसको लेकर पुलिस प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है। पुराने शहर के वार्ड संख्या 62 चक महमूद में मोहर्रम के जुलूस निकलते हैं। हर साल जुलूस में निकलने वाले तख्त के लिए 6 से 10 फीट गहरा गड्ढा सड़क पर किया जाता है। अतिसंवेदनशील इलाके में शनिवार को दोनों धर्मों के आपसी पहल और पुलिस की समझ ने विवाद को सुलझा दिया है। पीपल के पेड़ की छटाई कर मोहर्रम के जुलूस के निकाले जाने का रास्ता साफ कर दिया गया।

60 साल पुराने पीपल के पेड़ की हुई कटाई

वार्ड 62 चक महमूद में मौर्य वाली गली में करीब 60 साल पुराना पीपल है। बरसों से मौर्या गली के पचास मीटर टुकड़े को पांच फुट गहरा खोदा जाता था। इससे सड़क पर झुकी पीपल की डाल के नीचे से ताजिया निकाला जा सके। मोहर्रम के महीने में हर साल ताजिये उठाए जाते हैं। जब ताजिए जुलूस निकलता है तो पैरामिलिट्री फोर्स, पीएसी भारी पुलिस बल तैनात रहती है। काफी तनाव भरे माहौल में वहां से ताजिए निकलते थे। हर वक्त टकराव की आशंका बनी रहती थी।

टकराव खत्म करने के लिए बारादरी इंस्पेक्टर ने निभाई अहम भूमिका

पीपल के पेड़ के नीचे गड्ढा कर ताजिया निकालने की वजह से टकराव की आशंका रहती थी। बारादरी इंस्पेक्टर अमित पांडे ने इस टकराव को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों के साथ बैठक की। इसके बाद आपसी सौहार्द और सद्भाव को बनाए रखने के लिए तय हुआ कि पीपल के पेड़ की छटाई कर दी जाए। जिससे कि वहां से परंपरागत रूप से ताजिया निकल सके और वहां गड्ढा भी ना करना पड़े। करीब एक महीने से इंस्पेक्टर बारादरी अमित पांडेय वह दोनों पक्षों के बीच जाकर और उन्हें बैठाकर वार्ता कर रहे थे। पुराने विवादों का हवाला देकर आने वाली पीढ़ियों तक की समस्या बताई गई। समझाया गया कि अगर यह विवाद नहीं निपटा तो दोनों समुदाय के लोगों के बीच की खाई कभी नहीं भरेगी। कई चरण की वार्ता के बाद दोनों पक्ष तैयार हो गए और फिर शनिवार को पेड़ की छंटाई कर विवाद को खत्म कर दिया गया।