
बरेली। मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेण्टर में शरई कौंसिल ऑफ़ इंडिया के 15वें फ़िक्ही सेमीनार के तीसरे दिन महत्त्वपूर्ण फैसलों पर ताजुशरिया अख्तर रज़ा खान "अजहरी मियाँ ने मोहर लगा दी। सेमीनार में नीलामी की सम्पत्ति खरीदने , डिजिटल करेंसी और मस्जिद में नमाज को लेकर फैसले हुए है। इन मामलों पर उलेमाओं की बहस हुई जिसमें उन्होंने उसका सफलतापूर्वक हल निकाला।
नीलामी को लेकर ये फैसला
उलमा ने नीलामी के ताल्लुक से बहस करते हुए बताया कि लोन पास होने से पहले एक फर्म पर लोन लेने वाले को दस्तखत करना होता है जिसमे वह बैंक को इजाज़त देता है कि लोन अदा ना करने की सूरत में बैंक अपना कर्ज़ इन सम्पतियों को बेच कर हासिल कर ले जिनके कागजात बैंक में जमा है फैसले में कहा गया कि इजाज़त देने की बुनियाद पर नीलामी के द्वारा ख़रीद व फ़रोख्त मुसलमान के लिये सही व मान्य होगी और जहाँ पहले से इजाज़त ना हो वहाँ पर मालिक की इजाज़त पर निर्भर है और जहा कोई इजाज़त देने वाला ना हो तो उस सूरत में नीलामी के ज़रिये मुस्लमान के लिये ख़रीद व फ़रोख्त जायज़ नहीं है।
डिजिटल करेंसी नाजयाज
फ़िक्ही सेमीनार में डिजिटल करेंसी पर भी उलेमाओं ने बैठक कर फैसला सुनाया है। उलेमाओं का कहना है कि शरियत की नज़र में डिजिटल करेंसी माल नहीं है और यह फिजिकली भी नहीं पायी जाती और ना ही इसपर किसी हुकूमत या बैंक का कण्ट्रोल होता है इसलिए ऐसी बहुत सारी कंपनियां पैसे लेकर भाग जाती हैं या खुद को दिवालिया घोषित कर देती है जिससे लोगों का आर्थिक तौर पर भारी नुकसान होता है। लिहाज़ा डिजिटल करेंसी में पैसा लगाना जायज़ नहीं है।
मस्जिद में नमाज को लेकर ये फैसला
दूसरे मसले में उलमा ए किराम ने फ़रमाया था कि मस्जिदे हरम व मस्जिदे नब्वी अब मस्जिदे कबीर (बड़ी मस्जिद) हैं। बड़ी मस्जिद में नमाज़ी के सामने से उसके सजदा की जगह छोड़कर आगे से गुजरना जायज़ है लिहाज़ा अब अगर कोई मुस्लमान मस्जिदे हरम व मस्जिदे नब्वी शरीफ़ में नमाज़ी के सजदे की जगह के आगे से गुज़रता है तो उसके लिये जायज़ है और वह गुनाहगार नहीं होगा जबकि मस्जिदे सगीर (छोटी मस्जिद) में नमाज़ी के आगे से बगैर आड़ के गुज़ारना जायज़ नहीं और गुजरने वाला गुनाहगार होगा।
मुसलमानों के लिए महत्त्वपूर्ण है ये सेमीनार
जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान क़ादरी " सलमान मियां "ने बताया कि सेमीनार के आखरी सेशन में सारे फ़ैसलों को पढ़कर सुनाया गया और उनको लिखकर सारे उलमा ए किराम के दस्तखत लिये गये और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि शरई कौंसिल ऑफ़ इंडिया का 15 वां फ़िक्ही सेमीनार हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ़्ती मुहम्मद अखतर रज़ा खां क़ादरी की सरपरस्ती व शहर क़ाज़ी (बरेली शरीफ़) मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खां क़ादरी की सदारत में हुआ और आखिर में सारे फ़ैसलों पर हुज़ूर ताजुश्शरिया ने मोहर लगायी | शहर क़ाज़ी ने अपने ख़िताब में देश-विदेश से आये हुए उलमा ए किराम व मुफ्तियों की कोशिशों को सराहा व उनका शुक्रिया अदा किया और कहा कि शरई कौंसिल ऑफ़ इंडिया के सेमीनार इसलिए किये जाते है ताकि नये मसाईल के हुक्मे शरई से मुसलमानों को बाख़बर किया जा सके।
Published on:
10 Apr 2018 12:09 am
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