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आंवला से धर्मेंद्र, शाहजहांपुर से अरुण सागर के टिकट फाइनल, बरेली, पीलीभीत और बदायूं में इनके होंगे टिकट

बरेली। भाजपा हाई कमान ने शनिवार शाम को सांसद धर्मेंद्र कश्यप पर भरोसा जताते हुए उन्हें तीसरी बार आंवला से मैदान में उतारा है। धर्मेंद्र आंवला से भाजपा के दो बार के सांसद हैं। वह मेहनती और तेज तर्रार नेताओं में शुमार हैं। वहीं शाहजहांपुर के सांसद अरुण सागर को भी दोबारा लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया है। बरेली, पीलीभीत और बदायूं लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम होल्ड किए गए हैं। प्रत्याशियों की दावेदारी पर संकट के बादल छाए हुए हैं।      

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बदायूं के टिकट पर घमासान, क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर मंत्री बीएल वर्मा के नाम की चर्चा

बदायूं में सपा ने शिवपाल सिंह यादव को मैदान में उतारा है। बदायूं लोकसभा सीट पर भाजपा पिछड़ी जाति के प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेगी। भाजपा बदायूं के मौर्य नेताओं में से किसी को प्रत्याशी बनाने की तैयारी में है, लेकिन उनके नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। इस वजह से भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य और सहकारिता राज्य मंत्री राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा को भी बदायूं से उतारने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं से पार्टी हाई कमान ने कहा भी है लेकिन अभी उनके नाम फाइनल नहीं हैं। संघमित्रा का टिकट पार्टी काटती है तो इन दोनों नेताओं में से ही किसी के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य कुशल रणनीतिकार और संगठन शिल्पी हैं। उनके नाम पर सर्व सम्मति और सहमति बन जाएगी।

पीलीभीत से भाजपा लोकसभा का टिकट मांगने वालों की लंबी फौज

भाजपा ने इंटेलीजेंस से लेकर आरएसएस और पार्टी के अपने सर्वे के जरिए सभी सीटों पर संभावित प्रत्याशियों की सूची तैयार कर ली है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उसी सूची के आधार पर फीडबैक लिया जा रहा है। यही वजह है कि स्थानीय स्तर पर नेता टिकट को लेकर कुछ भी स्पष्ट बोल पाने की स्थिति में नहीं हैं। शाहजहांपुर में सांसद अरुण सागर पर भाजपा हाई कमान ने दूसरी बार भरोसा जताया है। उनका टिकट फाइनल किया गया है। प्रदेश भर में पार्टी करीब 20 से ज्यादा टिकट होल्ड कर रही है। पहली सूची में बरेली, पीलीभीत और बदायूं के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की गई है। पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी लगातार भाजपा और केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध को लेकर मुखर रहे हैं। आम जन मानस में चर्चा है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी को टिकट नहीं देगी, यही वजह है कि बलराज पासी से लेकर बरेली के कई बड़े नेता पीलीभीत से लोकसभा की टिकट के दावेदार हैं।

बरेली के टिकट पर लगी हैं सभी की निगाहें

बरेली में भाजपा के सर्वमान्य और बड़े नेता संतोष गंगवार नौवीं बार लोकसभा पहुंचकर रिकार्ड बनाने की तैयारी में हैं। बरेली लोकसभा कुर्मी बाहुल्य सीट है, लेकिन सबसे खास बात ये है कि बरेली में किसी बड़े कुर्मी नेता ने उनके सम्मान में टिकट की दावेदारी नहीं ठोंकी है। कुछ छिटपुट लोग टिकट मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें टिकट मिलना नहीं है। संतोष गंगवार का ट्रैक रिकार्ड सबसे शानदार है, सर्व सुलभ, व्यवहारिक, निर्विवाद छवि के पार्टी के सम्मानित नेता हैं। इन सबके बावजूद लोकसभा चुनाव में उनकी उम्र आड़े आ रही है। पार्टी हाईकमान उनके टिकट को लेकर विशेष तवज्जो देगा। बरेली में संतोष गंगवार की सहमति के बगैर किसी के भी टिकट होने की संभावना न के बराबर है। हालांकि भाजपा जाति और धर्म से ऊपर उठकर सबका साथ सबका विकास की बात करती है। ऐसे में बरेली में इन दिनों सबसे चर्चित नाम मेयर डा. उमेश गौतम का है। मेयर ने अपनी शानदार कार्यशैली और विषम परिस्थितियों में हाल में महापौर का चुनाव जीता। मेयर ने चुनाव ही नहीं बरेली की जनता का दिल भी जीता। उमेश गौतम का शानदार टीम प्रबंधन और उनका करिष्माई व्यक्तित्व था। जिसकी वजह से जिन मुसिलम बूथों पर भाजपा की पेटियां खाली रहती थीं। उन बूथों पर भी भाजपा की झोली में अच्छा खासा वोट आया। जबकि पार्टी के कई नेताओं ने भितरघात की। इसके बावजूद उमेश गौतम ने भाजपा की विजय पताका फहराई। बरेली लोकसभा टिकट के लिए उमेश गौतम का नाम भी जनता से लेकर सत्ता के गलियारों और भाजपा हाईकमान तक दावेदारों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर है। पहली सूची में बरेली का टिकट फाइनल न होने से संशय और बढ़ गया है।


समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता भाजपा में शामिल होंगे, लेकिन नहीं मिलेगा टिकट

समाजवादी पार्टी में बरेली के एक बड़े नेता जल्द ही भाजपा का दामन थामने वाले हैं। विधानसभा चुनावों से पहले से उनकी भाजपा में जाने की अटकलें थीं, लेकिन किसी कारणवश उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो पाई। अब वह लोकसभा में भी टिकट के प्रबल दावेदारों में थे, लेकिन लंबे इंतजार के बाद भाजपा हाईकमान ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया है। नेताजी भाजपा के एक कद्दावर नेता के साथ पिछले दिनों दिल्ली में देखे गए थे। दिल्ली की न के बाद अब नेताजी भाजपा में तो जा सकते हैं, लेकिन उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं मिलेगा। सपा उन्हें पीलीभीत से लोकसभा के रण में उतारने की तैयारी में है, लेकिन नेताजी अपने समर्थकों से चुनाव न लड़ने की बात कहकर सियासी हवाओं का रुख बदल रहे हैं।


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