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148.88 मिलियन बकरियों को चेचक और पीपीआर से बचाएगा टीका, आईवीआरआई ने तैयार की वैक्सीन

बरेली। बकरियों को पेस्टे-डेस-पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और गोटपॉक्स (बकरी चेचक) रोग से बचाया जा सकेगा। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में वैज्ञानिकों ने रोग से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार की है। वैक्सीन तकनीक को अहमदाबाद की हेस्टर बायोसाइंसेज कंपनी को 28 फरवरी को एग्रीइन्नोवेट के माध्यम से हस्तांतरित किया गया।

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भारत में बकरियों की संख्या 148.88 मिलियन है

वर्तमान में भारत में बकरियों की संख्या लगभग 148.88 मिलियन है। पेस्टे-डेस-पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और गोटपॉक्स (बकरी चेचक) खतरनाक रोग हैं, जिससे बकरियों की मौत तक हो जाती है। आईवीआरआई में डॉ. मुथु चेलवन, प्रधान वैज्ञानिक और उनकी टीम ने इस रोग से बकरियों को बचाने के लिए वैक्सीन को विकसित किया। वैक्सीन बनाने में स्वदेशी पीपीआर (सुंगडी/1996) और जीटीपीवी (उत्तरकाशी/1976) स्ट्रेनों का उपयोग किया है। अब एक ही टीके से पशुओं को दोनों रोगों से बचाया जा सकेगा। संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि वैक्सीन संस्थान के वैज्ञानिकों की एक बड़ी उपलब्धि है।

पशुपालकों को जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी

अब हेस्टर कंपनी आवश्यक नियामक स्वीकृतियों के बाद इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू करेगी। पशुपालकों को यह जल्द ही उपलब्ध हो पाएगा। बकरियों की उत्पादकता और किसानों की आजीविका में सुधार होगा। संस्थान तकनीकी प्रबंधन इकाई के प्रभारी डॉ. अनुज चौहान ने बताया की पीपीआर-गोटपॉक्स संयुक्त वैक्सीन को 65 लाख रुपये लाइसेंस शुल्क और पांच प्रतिशत रॉयल्टी की लाइसेंस शर्तों के साथ 10 साल की अवधि के लिए हेस्टर बायोसाईंसिस कंपनी को हस्तांतरित किया गया है। पीपीआर एवं बकरी चेचक का प्रकोप भारत के अलावा उत्तरी और मध्य अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम, मध्य पूर्व और मध्य एशिया देशों में भी काफी हैं।