
Adulteration market hot on festival, department's campaign cools
बाड़मेर. त्योहार नजदीक आते ही मिलावट का बाजार गर्म हो चुका है। इधर विभाग कहने को तो अभियान चला रहा है, लेकिन नमूने लेने और कार्रवाई अंगुलियों पर गिनी जा सकती है। खास बात ये है कि चिकित्सा विभाग की सैम्पलिंग की कार्रवाई और जांच रिपोर्ट आने तक सब कुछ ग्राहक के पेट में चला जाता है।
इसके बाद आने वाली रिपोर्ट पर विभाग की कार्रवाई सिर्फ फौरी ही होती है। विभाग के जिम्मेदार मानते हैं रिपोर्ट आने में काफी देर लगती है। जबकि विभाग के कारिंदे नमूने लेते वक्त उसका ढोल बजाकर प्रचार करते हैं। लेकिन नमूने फेल की रिपोर्ट को फाइलों में दफन किया जा रहा है। जबकि ऐसे व्यापारियों के नाम उजागर होने चाहिए, जिससे लोगों की जागरूकता बढ़ सके।
विभाग ने खुद के बचाव के तरीके निकाल रखे हैं। संदेह होने पर विभाग मिठाई, घी, मावा व खाद्य पदार्थ का नमूना लेता है। इसमें चार सैम्पल भरे जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि संदेह होने पर पूरा माल जब्त नहीं किया जा सकता है। क्योंकि नमूना सही आने पर माल का पूरा पैसा विभाग को चुकाना पड़ता है और रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं। ऐसे में तैयार मिठाई आदि दुकानों पर बिकती रहती है, भले ही वह स्वास्थ्य के लिए खराब हो। यह पता रिपोर्ट आने के बाद ही चलता है।
अपने नियम तोड़ रहा विभाग
नमूना फेल हो जाने पर व्यापारी के आपत्ति पर विभाग उसे एक और मौका देता है। अलग से भरे गए सैम्पल की अन्य लैब से जांच करवाई जाती है। जबकि यही चिकित्सा विभाग है जो डेंगू व स्वाइन फ्लू की जांच निजी प्रयोगशाला में पॉजिटिव आने पर उसे नहीं मानता है। जबकि लोगों की सेहत खराब करने वालों को सब तरह की छूट दे रखी है।
रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है
अभी सैम्पल नियमित रूप से लिए जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट में काफी समय लगता है। नमूने अधिक होने के कारण लैब में ऐसा हो रहा है।
कमलेश चौधरी, सीएमएचओ, बाड़मेर
Published on:
19 Oct 2019 01:45 pm
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