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बचा सको को बचा लो : डूबने लगा है राजस्थान का ‘जहाज’ !

राजस्थान में घटे 1 लाख से अधिक ऊंट, बाड़मेर में रह गए सिर्फ 19500 -जिले में 2012 में 19वीं पशुगणना में थे 43172 ऊंट-20वीं पशुगणना में प्रदेश में गिने गए 2.13 लाख -2012 में थे प्रदेश में ऊंटों की संख्या थी 3.25 लाख—ऊंटनियों की बजाय ऊंटों की संख्या तेजी से घटी -ऊंटों के मुकाबले में ऊंटनियों की संख्या दोगुनी

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बचा सको को बचा लो : डूबने लगा है राजस्थान का 'जहाज' !

बचा सको को बचा लो : डूबने लगा है राजस्थान का 'जहाज' !

बाड़मेर. रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाला ऊंट अब रेगिस्तान में ही डूबता नजर आ रहा है। लगातार ऊंटों की संख्या में कमी आ रही है। प्रदेश में 20वंी पशुगणना में ऊंटों की संख्या करीब 1 लाख से अधिक की कमी आई है। वहीं बाड़मेर में पिछली गणना से अब आधे से भी कम ऊंट गिने गए हैं।

ऊंटों की संख्या में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। ऊंटों के संरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने साल 2014 में ऊंट को राज्य पशु घोषित किया था। लेकिन ऊंटों को मिला यह दर्जा किसी तरह का फायदा नहीं दिला पाया। इसके परिणाम निराशाजनक रहे और अब ऊंट लगातार घटते ही जा रहे हैं।

प्रदेश में 1 लाख से अधिक हुए कम
पिछली पशुगणना में प्रदेश में कुल 3 लाख 25 हजार 713 ऊंट थे। लेकिन 20वीं पशुगणना में यह संख्या गिरकर 2 लाख 13 हजार 739 पर आ गई है। प्रदेश के किसी भी जिले में ऊंट की संख्या नहंी बढ़ी। सभी जगह ऊंटों की संख्या में भारी कमी आई है।

बाड़मेर में 19 हजार 500 पर आ गए ऊंट
थार का रेगिस्तान जहां ऊंट की विशेष पहचान होती है, लेकिन यह अब धुंधली होती जा रही है। गत पशुगणना में बाड़मेर जिले में ऊंटों की संख्या 43 हजार 172 थी। लेकिन इस बार हुई गणना में यह संख्या सीमिट कर 19 हजार 500 पर आ गई। अब थार में आधे से भी कम ऊंट बचे है।

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ऊंटनी के मुकाबले तो आधे रह गए ऊंट

प्रदेश में 20वीं पशुगणना में ऊंटनियों की संख्या 1 लाख 43 हजार 867 है। जबकि ऊंट केवल 68 हजार 872 ही बचे हैं। ऐसे में देखा जाए तो ऊंट तो आधे ही बचे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऊंटनियों की संख्या ज्यादा इसलिए है कि उनका प्रजनन करवाया जा सकता है और इसका दूध भी काफी उपयोगी है। इसलिए ऊंटनियों की पशुपालक भी देखभाल करते हैं, वहीं ऊंटों की अनदेखी हो रही है।
ऊंट की क्या कीमत है, इस उदाहरण से समझें

पशुपालन विभाग की ओर से एक कैम्प लगाया गया था। यहां पर ऊंटों को बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण किया गया। पशु के लिए लगने वाला टीका निशुल्क था, केवल 2 रुपए पंजीयन शुल्क पशुपालक को देना था, यहां आए कई पशुपालक ऊंट के लिए 2 रुपए देने तक को तैयार नहीं हुए और ऊंट वापस ले गए।
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ऊंटों की संख्या में कमी के प्रमुख कारण

-ऊंटों की अन्य राज्यों में तस्करी
-खेती के कामों में ऊंटों का उपयोग नहीं

-परिवहन के साधन में अब नहीं दिखते ऊंट
-राज्य पशु का दर्जा मिलने के बाद संरक्षण नहीं

-पशुपालक ऊंटों को छोडऩे लगे खुला
-पशु मेलों में नहीं होती ऊंटों की बिक्री

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20वीं पशुगणना: प्रदेश में ऊंट

कुल ऊंट 213739
ऊंट 68872

ऊंटनी 143867
बाड़मेर: 19500

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हां, कमी आई है

जिले में ऊंटों की संख्या में कमी आई है। अभी तक 20वीं पशुगणना के आंकड़े विभाग की ओर से फाइनल रूप से जारी किए जाने है। लेकिन प्रारंभिक आंकड़ों में ऊंटों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
रतनलाल जीनगर, सहायक निदेशक, पशुपालन विभाग बाड़मेर


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