
मन को भीतर से टटोलने की जरूरत : साध्वी मृगावतीश्री
बाड़मेर. शहर के आराधना भवन में चातुर्मास धर्मसभा में साध्वी मृगावतीश्री ने कहा कि मन के परिणाम जितने सत्विक होंगे, व्यक्ति उतना सत्वशाली होगा। परमात्मा की वाणी भवसागर से पार लगाने वाली, पंचमगति तक पहुंचाने वाली है। उसके लिए हमें हमारी पात्रता विकसित करनी है।
साध्वीवर्या ने कहा कि व्यवहारिक क्षेत्र में हमें पासिंग माक्र्स भी आ जाए तो हम पास हो जाते है लेकिन आध्यात्मिक क्षेत्र में इसके बिल्कुल विपरीत है। आध्यात्मिक क्षेत्र में 1 प्रतिशत भी अश्रद्धा है तो हम फेल जाते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में परमात्मा के वचनों के प्रति शत-प्रतिशत श्रद्धा होना अत्यंत आवश्यक है। जब तक हमें पाप का बोध नही होगा तब तक हमें पाप, पाप नहीं लगेगा। व्यक्ति स्वयं के भीतर नही टटोलता है मात्र बाहर ही बाहर खोजता रहता है। विष और अमृत दोनों ही समुद्र के अंदर है, कंकर और शंकर दोनों एक ही मंदिर के अंदर है, जमाना चुनाव का है चुनाव कर लीजिए प्रभुता और पशुता दोनों ही हमारे अन्दर है।
प्रत्येक वस्तु में गुण और दुर्गुण विद्यमान
साध्वी श्री नित्योदयाश्री ने कहा कि गति को सद्गति बनाने के लिए हम नित-प्रतिदिन जिनवाणी का श्रवण करते है। जहर की बोतल अगर कुशल वैद्य के हाथ में आ जाए तो वह भी औषध बन जाता है। संसार की हर वस्तु के अंदर गुण और दुर्गुण दोनों ही विद्यमान है। हम क्या देखते है वो हमारे नजरिये पर निर्भर है। समुद्र विशाल है लेकिन उसका पानी खारा है, चन्द्रमा शीतल है लेकिन उसमें दाग है। सूर्य तेजस्वी है लेकिन उसमें ताप है। जो विवेक पूर्वक, जयणापूर्वक परमात्मा की वाणी को सुनकर उसके अनुरूप क्रिया करे, आचारण करे वो ही परमात्मा का सच्चा श्रावक कहलाने का हकदार है। खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति, बाड़मेर के अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा ने बताया कि 13 अगस्त को आराधना भवन में बाइसवें तीर्थकर नेमीनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव का आयोजन होगा।
Published on:
06 Aug 2021 08:53 pm
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