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कोरोना मरीजों के उपचार में रखना होगा विशेष ख्याल, कोर ट्रीटमेंट कमेटी ने रिवाइज कोविड मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में दिए सुझाव

-कोर ट्रीटमेंट कमेटी ने इलाज को लेकर दिए कई नए सुझाव-मौतों का आंकड़ा बढऩे के कारण किया गया है परिवर्तन

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कोरोना मरीजों के उपचार में रखना होगा विशेष ख्याल, कोर ट्रीटमेंट कमेटी ने दिए सुझाव

कोरोना मरीजों के उपचार में रखना होगा विशेष ख्याल, कोर ट्रीटमेंट कमेटी ने दिए सुझाव

बाड़मेर. कोविड-19 के मरीजों को बेहतर उपचार व मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए संक्रमितों के इलाज के लिए रिवाइज कोविड मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के साथ ही डे-केयर ट्रीटमेंट के तहत अब बदलाव होगा। एसएमएस अस्पताल जयपुर की कोर ट्रीटमेंट कमेटी ने यह सुझाव दिए हैं। जिसे लागू करने के लिए सरकार ने सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
कमेटी ने अपने सुझाव में कोरोना के मरीजों को चार श्रेणी में निर्धारित करते हुए इनके उपचार के अलग-अलग स्टेप बताए हैं। कोविड-19 की 4 कैटेगरी में मोडरेट, माइल्ड, सिवियर और क्रिटिकल के अनुसार उपचार करना होगा। इसके साथ ही उनकी देखभाल व दवा की डोज भी उसी तरह देनी होगी।
मोडरेट कैटेगरी के मरीज को तुरंत देनी होगी ऑक्सीजन
मोडरेट कैटेगरी के संक्रमित का ऑक्सीजन सेचुरेशन बढ़ाने के लिए उसे हाईफ्लो मास्क से ऑक्सीजन देनी होगी। जिससे उसका ऑक्सीजन लेवल को 96 प्रतिशत तक लाया जा सके। ऐसे मरीज का ऑक्सीजन लेवल 90 से कम होने पर उसे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट करना होगा।
सिवियर और क्रिटिकल संक्रमित को करना होगा आइसीयू में भर्ती
संक्रमित मरीज सिवियर और क्रिटिकल कैटेगरी में है तो उसे तुरंत आइसीयू में भर्ती करना होगा। बाइपेप या मैकेनिकल वेंटिलेटर पर मरीज को रखना चाहिए। जिससे उसके स्वास्थ्य में शीघ्र्र से सुधार हो सके। ऐसे मरीजों को रैफर करने की स्थिति में उस चिकित्सा संस्थान में मल्टी स्पेशलिटी आइसीयू की सुविधा होनी जरूरी है।
प्रत्येक श्रेणी के लिए जांच का निर्धारण
केवल माइल्ड कैटैगरी के मरीजों को अन्य किसी जांच की आवश्यकता नहीं बताई गई है। वहीं अन्य तीनों अन्य श्रेणी के संक्रमितों की अन्य जांचें भी करवाना जरूरी है। जिससे संक्रमण के कारण स्वास्थ्य को लेकर अन्य कोई दिक्कतें पैदा नहीं हो जाए। जांच में यह भी पता चल सकेगा कि अन्य कोई बीमारी तो नहीं उभर रही है।
65 और अधिक आयु के संक्रमितों पर फोकस
कोरोना की मृत्यु दर अधिकांश वृद्ध संक्रमितों में ज्यादा हो रही है। इसलिए 65 साल या उससे अधिक के संक्रमितों के उपचार पर विशेष ध्यान देना होगा। ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक में सावधानी बरतनी होगी। जिससे मृत्यु दर को बढऩे से रोका जा सके।


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