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Barmer News: बाड़मेर में आखिरकार कब मिलेगी सस्ती बजरी, यहां अटका है पेच

खनिज विभाग ने बाड़मेर व बालोतरा जिले में बजरी खनन के लिए 12 भूखंड ऑनलाइन प्रक्रिया से नीलाम किए गए। जिसमें पचपदरा क्षेत्र के 8 भूखंड हैं, जो सितंबर माह में नीलाम हुए हैं।

बाड़मेरDec 09, 2024 / 10:27 am

Rakesh Mishra

gravel lease mining

फाइल फोटो

Gravel Lease Mining: बजरी को लेकर आमजन को राहत देने के लिए 100 हैक्टेयर में लीज देने का मामला कागजों से बाहर नहीं आ रहा है। बाड़मेर व बालोतरा में बजरी खनन के लिए दस लीज की नीलामी के बाद खनिज विभाग की ओर से अंतिम मंशा स्वीकृति जारी होने के बावजूद उन्हें पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) नहीं मिल रही है।
ऐसी स्थिति में बजरी खनन कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है, जबकि पर्यावरण स्वीकृति के लिए गठित कमेटी भंग हो चुकी है। नई कमेटी का केंद्र सरकार ने गठन ही नहीं किया हैं। ऐसी स्थिति में अब राहत की बजाय बजरी के लिए बड़ा संकट पैदा हो चुका है। खनिज विभाग ने बाड़मेर व बालोतरा जिले में बजरी खनन के लिए 12 भूखंड ऑनलाइन प्रक्रिया से नीलाम किए गए। जिसमें पचपदरा क्षेत्र के 8 भूखंड हैं, जो सितंबर माह में नीलाम हुए हैं।
अधिकतम नीलामी दर का 40 फीसदी पैसा जमा होने के बाद लीज धारक को विभाग ने अंतिम मंशा पत्र जारी कर दिए। इसी तरह सिणधरी क्षेत्र में 4 भूखंडों की नीलामी हुई है, जिसमें तीन की स्वीकृति जारी हुई है। जबकि एक भूखंड का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने पर प्रक्रियाधीन है। बजरी को लेकर इस बार सख्त नियम लागू किए गए हैं। सरकार का सख्त नियम हैं कि पट्टा धारक बजरी रॉयल्टी से चार गुणा ही राशि वसूल कर सकेगा। सरकार की 51.30 रुपए प्रति टन रॉयल्टी है। ऐसे में पट्टा धारक खनन, परिवहन व भराई समेत 200 रुपए प्रति टन वसूल करेगा।

कमेटी ही नहीं, गठन के इंतजार में बजरी लीज धारक

बजरी खनन के लिए लीज की नीलामी होने के बाद सिया कमेटी से पर्यावरण स्वीकृति लेनी होती है। यहां राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (सिया) भंग हो चुकी है। प्रदेश में इस समय पर्यावरण स्वीकृति जारी करने के लिए कोई कमेटी नहीं है। कमेटी का गठन केंद्र सरकार स्तर पर होता है। इसका कार्यकाल तीन साल होता हैं। कमेटी गठन के बाद स्वीकृति मिल पाएगी।

विभाग को मिला करीब 100 करोड़ का राजस्व

बाड़मेर व बालोतरा में बजरी के लिए 100-100 हैक्टेयर के 12 भूखंडों की नीलामी हुई है। इससे विभाग को करीब 100 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। जबकि बजरी खनन शुरू होते ही अतिरिक्त राजस्व भी मिलना शुरू होगा, लेकिन सरकार स्तर पर पर्यावरण स्वीकृति को लेकर लंबा इंतजार आमजन को सस्ती बजरी व सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहा है। पचपदरा में बजरी की लीज अधिकतम 20 करोड़ रुपए में नीलाम हुई है। विभाग ने पचपदरा के कनाना में 5, सराणा में 2 व 1 बिठूजा। इसके अलावा पायला खुर्द, पायला कंला, सडा व आदर्श सडा में भूखंड नीलाम किए हैं।

बजरी को लेकर चर्चित हैं क्षेत्र

बाड़मेर व बालोतरा जिला बजरी को लेकर लंबे समय से चर्चित रहा है। यहां अवैध बजरी का परिवहन ज्यादा रहा है। ऐसे में अब सरकार अलग-अलग बजरी लीज के पट्टे देकर अवैध बजरी पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। सिणधरी में पहली बार अलग-अलग चार लीज धारकों को पट्टे दिए जाएंगे। यहां बजरी के अवैध खनन को लेकर ज्यादा मारामारी रही है। दो दिन पहले अवैध खनन मामले में डीएसटी टीम पर हमला हुआ था।

पर्यावरण स्वीकृति का इंतजार

बालोतरा व बाड़मेर में बजरी खनन को लेकर कुल 12 भूखंड नीलाम किए गए हैं। जिसमें 10 का मंशा पत्र भी जारी कर दिया गया है, लेकिन पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने पर आगे प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। अब जल्द ही स्वीकृति मिलने की संभावना हैं।

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