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शहर के प्रवेश की लगभग सभी सड़कों का कायाकल्प हो रहा है। लेकिन बाड़मेर से सिणधरी जाने वाली रोड तीन पाटों में उलझी हुई है। प्रतिदिन ढाई हजार के करीब वाहनों का आवागमन इस रोड पर होता है। शहर का मुख्य हिस्सा बन चुकी है। लेकिन इसके विकास को लेकर नगरपरिषद, यूआईटी और पीडब्ल्यूडी तीनों में तालमेल नहीं होने से सिणधरी चौराहा से लेकर कुड़ला फांटा तक का मार्ग परेशानी का सबब बना हुआ है।
कोई नहीं दे रहा ध्यान
नगरपरिषद: इस सड़क को पीडब्ल्यूडी में मानती है। इस कारण विकास को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है। सिणधरी चौराहा से आगे नाले का निर्माण नहीं है। बरसाती और शहर में सीवरेज ओवरफ्लों होने पर पानी सिणधरी चौराहे पर खुला छोड़ दिया जाता है। यह पानी चौराहे को घेरते हुए आगे काफी दूर तक सड़क पर बहता रहता है। कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस सड़क रोड लाइट नहीं है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे ़बने हुए हैं।
यूआईटी: शहर के विकास का दावा तो यूआईटी की ओर से किया गया है लेकिन इस सड़क पर अभी कुछ नहीं हुआ है। इस मार्ग को यूआईटी में लेकर इसके दोनों तरफ लाइट, बीच में डिवाइडर, डिवाइडर पर पौधे, नाले का निर्माण किया जाए तो यह शहर की प्रमुख सड़क बन सकती है। स्थिति यह है कि सड़क बदहाली के आंसू बहा रही है।
पीडब्ल्यूडी: सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भी अब तक इस रोड की सुध नहीं ली है। बारिश में हुए गड्ढ़े जगह-जगह पड़े हंै। तीन स्थान तो एेसे हैं जहां पर गड्ढ़े इतने गहरे है कि वाहनों का निकलना मुश्किल हो रहा है। मुख्य सिणधरी चौराहे पर तो आने जाने वाले वाहनों की हालत खस्ता है। पीडब्ल्यूडी ने यहां मरम्मत का कार्य भी नहीं करवाया है।
हर पल दुर्घटना का खतरा
सिणधरी चौराहा से डिस्कॉम तक तो वाहन निकालना मुश्किल हो जाता है। कहीं पर भी ट्रेफिक नियंत्रण नहीं है। इतने वाहन आमने-सामने होते हैं कि चालक प्रतिदिन चोटिल हो रहे हैं। सड़क पर जगह-जगह कंकरीट बिखरी हुई है।
फैक्ट फाइल-
1 किमी तक है सिणधरी चौराहे से खतरे की स्थिति
2500 वाहन प्रतिदिन इस मार्ग से करते हंै आवागमन
10000 लोगों का रहता है औसत आवाजाही
500 के करीब प्रतिष्ठान और दुकानें जुड़ी है इस रोड से
5 साल से नहीं हुई है रोड की किसी तरह से मरम्मत
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