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दस वर्ष आंगनबाड़ी संभाली, अब थानेदार, जानें हेमलता चौधरी के संघर्ष की कहानी

बचपन में तीसरी कक्षा में पढ़ रही एक बालिका ने अपने स्कूल में खाकी वर्दी में पुलिस कांस्टेबल को देखा तो मन ही मन ठान लिया कि उसे भी पुलिस बनना है।

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hemlata choudhary

बाड़मेर। बचपन में तीसरी कक्षा में पढ़ रही एक बालिका ने अपने स्कूल में खाकी वर्दी में पुलिस कांस्टेबल को देखा तो मन ही मन ठान लिया कि उसे भी पुलिस बनना है। पढ़ते-पढ़ते वह दसवीं कक्षा तक पहुंची तो एकाएक अचानक ही परिजनों ने उसका विवाह कर दिया। विवाह होने के बाद भी वह पढ़ती रही। बारहवीं की पढ़ाई के दौरान उसे बेटी हुई और वह मां बन गई। बारहवीं पास करने के बाद उसने आंगनबाड़ी में अस्थायी नौकरी व स्वयंपाठी के रूप में पढ़ाई की और अंतत: अपने बचपन के सपने का पीछा करते हुए पुलिस उप निरीक्षक बनने में कामयाब हुई। कठिन संघर्ष व कई चुनौतियों से रूबरू होने वाली हेमलता चौधरी जिले के सरणू चिमनजी गांव की बेटी है।

14 किमी पैदल चलकर पढ़ाई
सरणू चिमनजी गांव की एक ढाणी में पली बढ़ी हेमलता के माता-पिता किसान है। परिवार में कोई सरकारी सेवा में नहीं है। किसान दुर्गाराम ने आठवीं कक्षा तक अपनी बेटी को नजदीकी विद्यालय में पढ़ाया। इसके बाद घर से करीब सात किलोमीटर दूर स्थित राउमावि सरणू में दाखिला दिलवाया। हेमलता ने प्रतिदिन चौदह किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पढ़ाई की।

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कांस्टेबल में निराश
हेमलता ने वर्ष 2008 में दसवीं व 2010 में बारहवीं पास की। स्वयंपाठी के रूप में स्नात्तक पास की। परिचितों व रिश्तेदारों ने उसे शिक्षिका बनने की सलाह दी, लेकिन उसकी जिद खाकी वर्दी की थी। लिहाजा उसने वर्ष 2015 में पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा दी। लिखित में उत्तीर्ण हुई, लेकिन शारीरिक दक्षता में सफल नहीं हो पाई। पहले प्रयास में खाकी उससे दूर रही, पर बड़ी सफलता उससे ज्यादा दूर नहीं थी।

2016 में उप निरीक्षक
वर्ष 2016 की पुलिस उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा को क्लीयर कर वर्ष 2021 में वह उप निरीक्षक बनी। लम्बे संघर्ष से मिली सफलता बाद प्रशिक्षण पूरा कर कंधों पर दो सितारों के साथ पहली बार घर लौटी है।

स्वागत किया
दो दिन पहले घर पहुंची हेमलता को वर्दी में देखकर दादी, माता-पिता की आंखें नम हो गई। महिलाओं ने मंगलगीत गाकर हेमलता का स्वागत किया। ढाणियों के बालक बालिकाओं की आंखों में नया सपना तैर गया।

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विपरीत परिस्थितियों ने प्रेरित किया
बचपन से लेकर अब तक बहुत उतार-चढ़ाव आए। विपरीत परिस्थितियों ने ही मुझे संघर्ष करने की प्रेरणा दी। हर परिस्थिति में माता-पिता मेेरे साथ खड़े रहे। मुझसे भी ज्यादा मेरे परिजनों ने संघर्ष किया। मेरी जो भी बहनें परिस्थितियों से संघर्ष कर रही है, उन्हें कहना चाहती हूं कि वह निर्भीक होकर आगे बढे़ं और अपना सपना पूरा करें।

हेमलता चौधरी, पुलिस उप निरीक्षक