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टिड्डी आक्रमण: बाड़मेर में नियंत्रण का क्षेत्र बता रहा हमले का भयावह रूप

-जिले में अब तक 17 हजार हैक्टेयर से अधिक में हो चुका है नियंत्रण का कार्य-पिछले साल जून के पहले सप्ताह तक 318 हैक्टेयर में हुआ था छिड़काव

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टिड्डी आक्रमण: बाड़मेर में नियंत्रण का क्षेत्र बता रहा हमले का भयावह रूप

टिड्डी आक्रमण: बाड़मेर में नियंत्रण का क्षेत्र बता रहा हमले का भयावह रूप

बाड़मेर. थार में टिड्डी के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। अप्रेल महीने से आई टिड्डी का कहर जारी है। इसके चलते जून में ही नियंत्रण के क्षेत्र का आंकड़ा बढ़कर हजारों में पहुंच गया जो पिछले साल इस दौरान केवल 318 हैक्टैयर ही था। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि टिड्डी कितनी भयावह रूप से लगातार हमले कर रही है।
थार में टिड्डी के हमले अनुमान से ज्यादा हो रहे हैं। विभागों जितना सोचता है, टिड्डी उससे कई गुना मात्रा और समय से पहले यहां धमक चुकी है। अब तो हर रोज नए-नए क्षेत्रों में टिड्डी पहुंच रही है। यह माना जाता रहा है कि टिड्डी के हमले सीमावर्ती क्षेत्र में होते हैं, यह सही भी था। लेकिन अब हालात बदलते जा रहे हैं। अब मई-जून में ही टिड्डी सीमावर्ती क्षेत्रों से निकल तक शहरों तक पहुंच गई और वहां भी हालात ये हुए कि कई हैक्टेयर में नियंत्रण कार्य करना पड़ा।
एक भी क्षेत्र नहीं रहा अछूता
बाड़मेर में मई-नवम्बर महीने तक टिड्डी के हमले होते हैं। मई-जून तक टिड्डी सीमावर्ती क्षेत्र में अधिकांश रूप से नजर आती है। लेकिन इस बार टिड्डी मई महीने में सीमावर्ती क्षेत्र से होते हुए बाड़मेर और बायतु से आगे समदड़ी क्षेत्र तक पहुंच गई। वहीं देखा जाए तो पूरे जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में टिड्डी के हमले हुए हैं और धोरीमन्ना क्षेत्र में यह सिलसिला जारी है। जिले की 14 तहसील क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण संगठन व कृषि विभाग नियंत्रण का कार्य कर चुके हैं और कई जगह जारी है।
ठूंठ हो रही है हरियाली
खेतों में अभी फसल नहीं होने से राहत है। लेकिन दूसरी तरफ हरियाली से भरे पेड़ों को टिड्डी दल ठूंठ में बदल रहा है। जहां पर भी टिड्डी बैठती है, कुछ ही देर में हरियाली गायब हो रही है। जिले में कई गांवों में जहां पर प्रगतिशील किसानों ने अपने खेतों को टिड्डी से हमले के बचाव के भी जतन किए हैं।
बढ़ता जा रहा टिड्डी दल
जिले में शुरुआत में टिड्डी दल के आकार काफी छोटे थे। लेकिन धीरे-धीरे होते हुए अब टिड्डी दल के आकार बढ़ चुके हैं। एक छोर किसी और गांव में तो दूसरा किसी और कस्बे में नजर आता है। इसके चलते नियंत्रण को लेकर काफी मुश्किल आ रही है। नियंत्रण का कार्य पूरे टिड्डी दल पर होता ही नहीं और बड़ी संख्या में टिड्डी उड़कर आगे पहुंच जाती है।
जिले का एक भी तहसील क्षेत्र नहीं अछूता
-गडरारोड
-चौहटन
-बाड़मेर
-बायतु
-सेड़वा
-गिड़ा
-सिणधरी
-शिव
-पचपदरा
-रामसर
-सिवाना
-समदड़ी
-गुड़ामालानी
-धोरीमन्ना