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‘सुख’ चल बसा, ‘शांति’ पर संतान की जिम्मेदारी

-विधवा महिला के लिए परिवार का पालन करना हुआ मुश्किल-ग्राम पंचायत आटी के सांगनसेरी का मामला

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became difficult for widow woman to follow family

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बाड़मेर. ग्राम पंचायत आटी के राजस्व गांव सांगनसेरी निवासी महेशाराम की मौत के बाद अब पत्नी शांति के जीवन में संघर्ष का दौर शुरू हो गया है। शांति पर 4 बेटियों व एक बेटे के लालन पालन का भार आ गया है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण खाने के भी लाले पड़ रहे हैं।

उधारी चुकाना भी हुआ मुश्किल

शांति का पति महेशाराम लगभग 8 वर्षों से बीमार रहता था। पूर्व में उसके गुर्दे का इलाज करवाया। ऐसे में मेहनत मजदूरी के जो पैसे थे वह भी इलाज में खर्च हो गए।

इसके बाद इधर-उधर से पैसे उधार लेकर इलाज करवाया। लेकिन इलाज नहीं लगने के कारण लगभग एक माह पहले महेशाराम की मौत हो गई है। अब उधारी के पैसे चुकाना भी शंाति के लिए मुश्किल हो गया।

परिवार का पालन हुआ मुश्किल

शांति के परिवार में जुड़वा बेटियां प्रिया व प्रियंका के अलावा अन्य दो बेटी दिव्या व धापू है। वहीं सबसे छोटा बेटा जसपाल है। बिना रोजगार के बेटे बेटियों सहित 6 जनों का पालन करने महिला के लिए किसी संघर्ष से कम नहीं हैं।

परिवार को मदद की दरकार

परिवार के लालन-पालन व बेटे बेटियों की शिक्षा सहित अन्य खर्च चलाने के लिए पीडि़त परिवार को मदद की दरकार है। वर्तमान में शांति के ना तो विधवा पेंशन जारी हुई है और ना ही अन्य कोई सरकारी सहायता मिली है। जगह-जगह भटकने के बाद भी कहीं से सहायता की किरण नहीं दिखी।

गुजारा चलाना मुश्किल हो गया

पति की मौत के बाद परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है। खाने के भी लाले पड़ रहे हैं। पूरे परिवार मदद की आवश्यकता है।

शांति देवी


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