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मौत से पहले भंवराराम का आखिरी कॉल, बोली ऐसी बात की सुन कर हर कोई घबरा गया

सिणधरी. आग से चारों ओर से घिरा भंवराराम आखिरी दम तक कॉल कर चिल्लाता रहा बचाओ-बचाओ लेकिन उसकी मदद को कोई नहीं पहुंच पाया। आग इतनी विकराल थी कि रास्ता नहीं मिल रहा था और केमिकल से भरा टैंकर होने से हिम्मत भी जुटाना मुश्किल। 10 बजे के बाद लगी आग के लिए दमकल सिणधरी में होती तो दस मिनट में पहुंच जाती लेकिन बाड़मेर, बालोतरा और आरजीटी से दमकल की गाडिय़ा 11 बजे पहुंची। आग पर काबू पाते-पाते 11.40 हो गए तब तक भंवरा और टैंकर का चालक दोनों हीं जिंदा जलकर दम तोड़ चुके थे।

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मेगा हाइवे पर लगातार हो रहे हादसे, आग पर काबू के नहीं इंतजाम
मौत से पहले भंवराराम का आखिरी कॉल…बचाओ-बचाओ

समय पर दमकल होती तो शायद बच जाती जान

सिणधरी. आग से चारों ओर से घिरा भंवराराम आखिरी दम तक कॉल कर चिल्लाता रहा बचाओ-बचाओ लेकिन उसकी मदद को कोई नहीं पहुंच पाया। आग इतनी विकराल थी कि रास्ता नहीं मिल रहा था और केमिकल से भरा टैंकर होने से हिम्मत भी जुटाना मुश्किल। 10 बजे के बाद लगी आग के लिए दमकल सिणधरी में होती तो दस मिनट में पहुंच जाती लेकिन बाड़मेर, बालोतरा और आरजीटी से दमकल की गाडिय़ा 11 बजे पहुंची। आग पर काबू पाते-पाते 11.40 हो गए तब तक भंवरा और टैंकर का चालक दोनों हीं जिंदा जलकर दम तोड़ चुके थे।

मौत से पहले आखिरी कॉल…बचाओ-बचाओ

जिंदा जलने से पहले आग से घिरे भंवराराम ने खुद को बचाने का पूरा जतन किया और उसने पप्पूराम को कॉल किया और जोर-जोर से चिल्लाया बचाओ-बचाओ। पप्पूराम उस वक्त सिणधरी कस्बे के भीतर था। वह दौड़ पड़ा। यहां पप्पूराम ने आते ही सभी लोगों को कहा, भंवरा अंदर है। भंवरे को बचा लो। इसके बाद बाहर से लोग कॉल करते रहे और अंदर से जवाब आना बंद हो गया। आग ने इस कदर घेर लिया था कि अंदर जाने को न तो रास्ता था न हिम्मत..। दमकल पहुंचते-पहुंचते 11 बज गए और भंवराराम की जिंदगी को यह देर भारी पड़ गई। दमकल पहुंचने के बाद आग तो काबूू आई लेकिन मलबा और अंदर जलती आग के लिए हाइड्रा मंगवाया गया। लगभग इस मशक्कत में 12 बजे। इसके बाद पीछे की गोदाम की दीवार तोड़कर अंदर गए तो मलबे में कंकाल मिला। यह कंकाल भंवराराम का ही बताया जा रहा है, क्योंकि दूसरा कोई कंकाल नहीं मिला। भंवराराम निकटवर्ती गांव होडू का रहने वाला बताया जा रहा है। उसने दो महीने पहले ही यह होटल लगाई थी। पप्पूूराम उसके गांव का पड़ौसी है और सिणधरी में रहता है।

एक घंटे बाद दमकल पहुंची

करीब एक घंटे तक आग जलती रही और बुझाने के प्रयास नहीं हो पाए। इसके कारण आग भीषण हो गई। हादसा दस बजे हुआ और पहली दमकल रात 11 बजे सिणधरी पहुंची और आग पर काबू पाना प्रारंभ किया। इसके पंद्रह मिनट में ही दो अन्य दमकल भी आ गई। इस बीच पांच दमकलें लगी और रात करीब 11.40 बजे आग पर काबू पा लिया गया।

लाखों का नुकसान

आग ने एक गोदाम और पांच दुकानों को चपेट में लिया। इनमें रखा लाखों का सामान स्वाहा हो गया है। गनीमत रही कि आग पर एक घंटे में काबू पा लिया गया और केमिकल से भरा टैंकर फटा नहीं, वरना आसपास करीब 50 दुकानों का समूह व कच्ची बस्ती होने से हादसा विकराल होने की आशंका थी।

रात 1:30 बजे तक चला रेस्क्यू

11.40 में हाइड्रा आने के बाद गोदाम की दीवार तोड़कर एक शव को निकाला गया। इसके बाद आरजीटी से आए विशेषज्ञ ने बताया कि टैंकर के भीतर मिथाइल है और वह आग पकड़ गया तो बड़ा हादसा हो सकता है। इससे छेड़छाड़ न हीं कीजाए। इसके बाद मलबा भी ज्यादा हो गया। रात करीब 1:30 बजे दूसरा शव मिला इसके बाद रेस्क्यू रोका गया। बताया गया कि ट्रक चालक नीम्बाराम मेघवाल निवासी भूका भगतसिंह का मोबाइल है। शव की शिनाख्त नहीं हुई है।