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गुजरात में अचंभित करती दो भाइयों की यह चुनावी जंग, जानिए,मां के संग

पत्रिका ग्राउण्ड रिपोर्ट- अचंभित करती दो भाइयों की यह चुनावी जंग, जानिए,मां के संगनोट-यह दरवाजा कांगे्रस के लिए खुला है और यह भाजपा के लिएशांताबेन के दोनों बेटे लड़ रहे चुनाव, कांग्रेस-भाजपा दोनों में बंटा परिवार

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गुजरात में  अचंभित करती दो भाइयों की यह चुनावी जंग, जानिए,मां के संग

गुजरात में अचंभित करती दो भाइयों की यह चुनावी जंग, जानिए,मां के संग

पत्रिका ग्राउण्ड रिपोर्ट- अचंभित करती दो भाइयों की यह चुनावी जंग, जानिए,मां के संग
नोट-यह दरवाजा कांगे्रस के लिए खुला है और यह भाजपा के लिए
शांताबेन के दोनों बेटे लड़ रहे चुनाव, कांग्रेस-भाजपा दोनों में बंटा परिवार
रतन दवे
अंकलेश्वर गुजरात .
यह कहानी पूरी फिल्मी लगती है। ऐसा सोचना भी चलचित्र के पर्दे का सीन है। गुजरात के अंकलेश्वर में भाजपा-कांग्रेस ने दो सगे भाइयों को टिकट दिया है। दोनों भाइयों का आमने-सामने चुनाव लडऩा जितना दिलचस्प है,उससे कहीं ज्यादा रोमांचित करती है इनके घर की यात्रा। हांसोड़ गांव में जब पत्रिका संवाददाता इनके घर पहुंचा तो ऐसे लगा कि यह फिल्म का कोई हिस्सा है और इसका हर किस्सा रोमांचित कर देता है।
हांसोड़ में में मकान है भाजपा से करीब 25 साल से चुनाव लड़ रहे और पूर्वमंत्री ईश्वरभाई पटेल का। ईश्वरभाई के सामने कांगे्रस ने विट्ठलभाई पटेल को टिकट दिया है, जो इनके ही छोटे भाई है। दोनों सगेभाईयों की चुनावी दंगल में उतरने की दिलचस्प कहानी हर अंकलेश्वरवासी की जुबान पर चढ़ी है और वे मुस्कारते हुए चर्चाएं करते है,तो पूछा कि इनका घर कहां है? जवाब मिला कि हंसोड़ गांव में मन में उत्सुकता हुई कि घर जाकर देखा जाए क्या माहौल है? यहां पहुुंचते ही पता बताया कि मकान सामने वाली गली में है।
गली में प हुंचते ही दंग रह गया
गली में पहुंचते ही दंग रह गया। एक ही मकान के दो भाग है। दोनों के एक जैसे दरवाजे और आगे गलियारा। जैसे आमतौर पर पिता दो बेटों का बंटवारा करते है,वैसा हुआ है और बीच में एक दीवार खींचकर दोनों मकान अलग-अलग किए गए। यानि एक दरवाजा भाजपा के लिए खुलता है और दूसरा दरवाजा कांग्रेस के लिए,है न अचरज। दोनों भाई चुनाव प्रचार में है, हालांकि ईश्वरभाई ने सामने भी एक मकान अपने उठने-बैठने को बनाया हुआ है। विट्ठलभाई और उनका परिवार यहीं रहता है और ईश्वरभाई का परिवार गांधीनगर था।
मां शांताबेन की दोनों आंखे लड़ रही चुनाव,पर अलग-अलग
अब, अंदर जाकर परिवार की जानकारी लेनी चाही तो वि_लभाई के घर मे ंउनकी पत्नी मधुबेन विजय पटेल मिली। वे सहज तौर पर मीडिया से बात करने को तैयार न थी, लेकिन पत्रिका से बात करने लगी। मेरे आग्रह पर उन्होंने सासू शांताबेन को पड़ौस से बुला लिया। शांताबेन 80 पार की उम्र की है। उन्होंने जो बताया वो रोमांच की सीमा से पार था। शांताबेन के दोनों बेटे कांग्रेस-भाजपा अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ रहे है,उनका आशीर्वाद किसके साथ है। इस पर बोली-मेरी दोनों आंखें है, मैं तो दोनों को ही आशीष दंूगी। वे कहती है मैं नहीं चाहती थी कि दोनों लड़े,लेकिन अब विचारधारा दोनों की अलग-अलग है।
ऐसा क्यों हुआ?
अहम सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ? असल में दोनों भाई की उम्र में 3-4 साल का फर्क है आर 60-62 साल के है। ईश्वरभाई भाजपा से जुड़े रहे है और विट्ठलभाई राजनीतिक कार्यकर्ता का लंबा जीवनयापन किया है। पिता गुमोन ठाकुर पहले विधायक रहे है। विरासत में मिली राजनीति को ईश्वरभाई ने आगे बढ़ाया और आम परिवारों की तरह यहां पर भी बंटवारा हुआ तो दोनों के अलग-अलग मकान हुए और राजनीति में विचारधारा भी बंट गई। परिवार का प्रभुत्व देखते हुए भाजपा ईश्वरभाई के साथ चल रही थी तो इस बार कांग्रेस ने वि_लभाई को टिकट दे दिया है, अब दोनों आमने सामने है।


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