
जैविक खेती से लेते बम्पर पैदावार, डिमांड ज्यादा, मुनाफा अच्छा
दिलीप दवे
बाड़मेर. वर्तमान में रसायनिक खाद का प्रयोग कर किसान करोड़ों की कमाई करना चाहते हैं, ऐसे में थार के धरतीपुत्र गांव-गांव जैविक खेती कर रहे हैं। खरीफ की फसल में परम्परागत खाद का प्रयोग कर किसान करीब 16.25 लाख हैक्टेयर में बाजरा, मूंग, मोठ आदि की बुवाई करते हैं। जैविक उत्पादन के चलते स्थानीय बाजार में ही उत्पादन हाथोंहाथ बिक जाता है। करीब तीस अरब की खरीफ फसलें होती है। स्थिति यह है कि जीरा, अरण्डी व ईसबगोल बेचने किसान गुजरात जाते हैं, लेकिन खरीफ की फसलें गांव व आसपास के शहरों में ही बिक जाती है।
बाड़मेर जिले में अभी भी किसान परम्परागत खेती को पसंद कर रहे हैं। खरीफ बुवाई इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। हर साल बारिश होते ही गांव-गांव में जुताई होती है। इस दौरान अधिकांश किसान घर में सहेज कर रखे बीज से ही बीजाई करते हैं। इतना ही नहीं वे खरीफ फसलों में खराबा होने की आशंका के बावजूद रसायनिक खाद का उपयोग नहीं करते। ऐसे में जैविक उत्पादन ही तैयार होता है।
मूंग व बाजरा की बेहद डिमांड- जिले में जैविक उत्पादन के कारण बाजरा व मूंग की बेहद डिमांड रहती है। मूंग पचास से अस्सी रुपए किलो में बिक जाता है। स्थिति यह है कि मूंग की एडवांस बुकिंग रहती है। वहीं, बाजरा की भी मांग रहती है। हजारों बोरी बाजरा अच्छे दाम पर बिकने से किसानों को भी ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता।
नहीं डालते रसायनिक खाद- सदियों से खरीफ की बुवाई थार में होती है। ऐसे में परम्परागत तरीके ही किसान अभी तक अपनाए हुए हैं। खरीफ बुवाई में रसायनिक खाद व कीटनाशी का प्रयोग नहीं करते।- सवाईङ्क्षसह राठौड़, प्रगतिशील किसान भींयाड़
जैविक उत्पादन फायदेमंद- जैविक उत्पादन किसानों के साथ उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होता है। खरुीफ की बुवाई में बीज से लेकर उत्पादन पैदा होने तक जैविक खेती ही होती है। यहीं कारण है कि मूंग व बाजरा की बेहद डिमांड रहती है। बाड़मेर व जैसलमेर का बाजरा अन्य महाराष्ट्र व गुजरात में भी बिक जाता है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी
इतने हैक्टेयर में होती जैविक खेती
फसल हैक्टेयर
बाजरा ८३५०००
मूंग ७००००
मोठ ३२५०००
ग्वार ३५००००
ज्वार ३५००
मूंगफली ३५००
तिल १००००
अरण्डी २१०००
अन्य ७५००
कुल १६२५५००
Published on:
07 Aug 2020 07:23 pm
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