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राजस्थान के इस शहर में अपनी मर्जी से चलता है ट्रॉफिक

ट्रॉफिक मैनेजमेंट की बातें बैठकों में सिमट जाती है-शहर में 6 किमी में ट्रॉफिक नहीं संभाल पा रही है यातायात पुलिस-केवल 4 ट्रॉफिक पाइंट, यहां पर भी बेटपरी यातायात व्यवस्था

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नेहरू नगर पुल: गलत साइड से आवाजाही

नेहरू नगर पुल: गलत साइड से आवाजाही

बाड़मेर शहर की एक मात्र मुख्य सड़क चौहटन चौराहे से लेकर सिणधरी सर्कल तक करीब 6 किमी में बाड़मेर यातायात पुलिस से वाहन नहीं संभल रहे हैं। हर जगह गलत साइड से आना-जाना और बेपटरी यातायात हमेशा दुर्घटना को दावत दे रहा है। छोटी-मोटी भिंड़त आए दिन यहां होती रहती है। गनीमत है कि मामला थाने तक नहीं पहुंचता है। ऐसे में शहर में अव्यस्थित यातायात से दुर्घटनाएं कितनी हुई, इसका भी कोई पता नहीं चलता है। पूरे शहर की एकमात्र मुख्य सड़क पर ट्रॉफिक नियंत्रण के केवल चार पांइट है। जहां पर नियंत्रण के लिए यातायात की घुमटियां जरूर है, कार्मिक कम ही दिखते है। ऐसे में बाड़मेर शहर का यातायात भी नियमों को धत्ता बताकर मनमर्जी से दौड़ रहा है।
सिणधरी चौराहा : बन हीं नहीं पाया नो-पार्किंग जोन
जब भी यातायात प्रकोष्ठ की बैठक होती है तो सिणधरी चौराहे पर नो-पार्किंंग जोन घोषित किया जाता है। लेकिन आज तक यहां यह व्यवस्था लागू हीं नहीं हो पाई है। जबकि जिला कलक्टर व जनप्रतिनिधि तक कह चुके हैं कि यहां पर 100 मीटर के दायरे में वाहनों के खड़े होने पर पाबंदी है। लेकिन धरातल पर यह पाबंदी शायद एक ही बार नहीं लग पाई है। जबकि बैठकों में निर्देशों में बार-बार पाबंदी का आदेश रिपिट हुआ है।
नेहरू नगर पुल: गलत साइड से आवाजाही
शहर में प्रवेश का मार्ग नेहरू नगर पुल पर गलत साइड से जाना तो जैसे नियम ही बन चुका है। यहां पर घुमटी है। लेकिन पुलिसकर्मी नहीं होता है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि कार्मिक सिर्फ ड्यूटी कर रहा है और वाहन मनमर्जी से गलत साइड से होकर शहर के अस्पताल जाने वाले मार्ग की तरफ आवाजाही कर रहे है। जबकि नियमानुसार यहां से अहिंसा सर्किल से होते हुए अस्पताल रोड की तरह आना होता है। अब तो यहां पुल पर टैम्पो का स्टैंड भी बन चुका है। जिससे यहां गलत साइड में आने से पुल पर यहां दुर्घटना का अंदेशा बढ़ गया है।
अहिंसा सर्कल: यहां पर क्रेन है तैनात
यह शहर का सबसे व्यस्त चौराहा है। यहां पर से स्टेशन रोड जाने वाला मार्ग है। वहीं रेलवे स्टेशन में आवाजाही का मार्ग चौराहे के ठीक सामने है। ऐसे में यात्रियों की आवाजाही करीब पूरे दिन लगी रहती है। ट्रेन के आते ही यहां टैम्पो और ऑटो की लाइन पहले ही लग जाती है। दूसरे वाहनों को निकलने की जगह नहीं मिलती है। वहीं राहगीरों और स्टेशन से आने-जाने वालों के लिए भारी दिक्कत के साथ हादसे की आशंका नजर आती है। यहां पुलिस तो कम दिखती है, लेकिन क्रेन जरूर तैनात रहती है, जो काम कम ही आती दिखती है। यहां पूरे दिन खड़ी देखी जा सकती है।
चौहटन सर्कल : मनमर्जी से आओ-जाओ
यहां पर भी यातायात घुमटी है, कार्मिक लगाए गए हैं। लेकिन नियंत्रण को लेकर उदासीनता नजर आती है। बड़े वाहनों की आवाजाही के कारण यहां पर हादसे होने की आशंका रहती है। पूर्व में दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसके बावजूद यहां पर यातायात व्यवस्था को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चौराहे पर शहर की तरफ से आने वाले मार्ग पर पुल निर्माण के चलते वाहनों की आवाजाही बंद है। इसके कारण तीन तरफ से वाहनों की आवाजाही बढ़ी हुई है। इसके बावजूद टै्रफिक पर किसी भी अधिकारी का ध्यान तक नहीं है। यहां पर जैसे सभी को मनमर्जी से आने-जाने की छूट दे रखी है।