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बाड़मेर. जिले की 676 सरकारी स्कूलों में 9वीं व 10वीं कक्षा के हजारों विद्यार्थियों ने शुक्रवार को बिना कम्प्यूटर शिक्षा अध्ययन किए परीक्षा में भाग्य आजमाया। ऐसा इसलिए हुआ कि सरकारी स्कूलो में प्रशिक्षित कम्प्यूटर शिक्षक ही नहीं है। जबकि नवीं व दसवीं कक्षा में कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता लागू की गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने के तहत सरकारी स्कूलों में सूचना प्रौद्योगिकी विषय की पुस्तक नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के साथ ही कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता लागू की गई है। लेकिन प्रदेश सहित जिले भर की सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षिक के साथ यह पुस्तक भी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार का सपना महज कागजों में नजर आ रहा है। हालांकि 25-30 स्कूलों में सरकार की क्लिक योजना के तहत कम्प्यूटर का शिक्षण करवाया जाता है। लेकिन अन्य स्कूलों में शिक्षण को लेकर कोई इंतजाम नहीं है। उल्लेखनीय है कि वर्ष-2014 से पहले सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षण के लिए कम्प्यूटर अनुदेशक के पद स्थापित थे। जिन्हें बाद में हटा लिया गया।
500 स्कूलों में लगी है कम्प्यूटर लैब
जिले की सरकारी स्कूलों में 2005 में कम्प्यूटर लैब स्थापित करना शुरू किया। बाड़मेर जिले में प्रथम चरण में 53, द्वितीय 53, तृतीय 62, चतुर्थ 28 व पांचवें चरण में 09 कम्प्यूटर लैब स्थापित हुए हंै। उसके बाद सरकार की योजना के तहत 258 लैब स्थापित की गई। शिक्षा विभाग के अनुसार सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 500 लैब स्थापित है। लेकिन यहां पढ़ाने के लिए कंप्यूटर शिक्षक नहीं हैं।
अंक तालिका में जुड़ते है अंक
बोर्ड परीक्षा में अद्र्ध वार्षिक परीक्षा 'फाउंडेशन ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी' के नाम से ली जाती है। इसमें सैद्धान्तिक व प्रायोगिक परीक्षा में प्राप्त अंक बोर्ड को भेजे जाते हैं। बोर्ड अंक को मार्कशीट में दर्ज करता है।
- सरकार शिक्षक उपलब्ध करवाएं
सरकार राजकीय स्कूलों में कम्प्यूटर लैब स्थापित कर रही है। लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है। सरकार पूर्व में हटाए गए कम्प्यूटर अनुदेशकों को वापस लगाएं। इससे कम्प्यूटर शिक्षण को बढ़ावा मिलेगा।- लक्ष्मणपुरी गोस्वामी,संगठन मंत्री, ऑल राजस्थान कम्प्यूटर शिक्षक संघ
Published on:
14 Dec 2019 11:34 am
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