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कमाऊ पूत को कैंसर, कैसे बनेगी कच्ची छत पक्की

- दो जून की रोटी के लाले, लोगों की मदद के भरोसे परिवार

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Expenses of millions, not earning

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बाड़मेर. सोडियार ग्राम पंचायत के भूकराणसर का नरसिंगाराम कमठा मजदूरी कर परिवार का पेट पालता था। इससे दो जून की रोटी मिल रही थी, लेकिन आठ माह पहले अचानक तबीयत खराब हुई तो परिजन उसे अहमदाबाद लेकर गए, जहां पता चला कि उसको कैंसर है।

इसके बाद परिवार के पैरों तले से जमीन खिसक गई। बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा था, अब इलाज का पैसा कहां से लाएं, यह चिंता सताने लगी। लोगों की मदद से उसका इलाज तो हो गया, लेकिन बिना मदद के अब घर नहीं चल रहा। लोगों की मदद के भरोसे यह परिवार है।

नरसिंगाराम कच्चे आवास की जगह पक्की छत का इंतजार कर रहा है तो परिवार वाले लोगों की मदद की आस लगाए बैठे हैं। चालीस वर्षीय नरसिंगाराम के परिवार में छह सदस्य हैं। तीन बेटियां, एक बेटा और पत्नी सभी का लालन-पोषण उसके भरोसे है।

कुछ माह पहले बीमारी के बाद उसकी कमठा मजदूरी छूट गई और उसने खाट पकड़ ली। इस पर परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। वहीं, कैंसर के इलाज को लेकर भी हर माह हजारों रुपए की दवाई आ रही है। यह सब लोगों की मदद के भरोसे हो रहा है।

लाखों का खर्चा, कौड़ी की कमाई नहीं

नरसिंगाराम की बीमारी पर परिवार करीब डेढ़-दो लाख रुपए खर्च कर चुका है। हर माह चार-पांच हजार की दवाई भी आ रही है। नरसिंगाराम ने खाट पकड़ ली है, जिस पर कमठा मजदूरी भी छूट गई। बेटा मात्र डेढ़ साल है जबकि बच्चियों की उम्र भी नौ-दस साल से अधिक नहीं है। इस पर घर का खर्चा उठाए भी तो कौन ?

कच्चा मकान, नहीं सरकारी मदद

ग्रामीणों के अनुसार नरसिंगाराम के परिवार के सिर ढकने के लिए मात्र एक कमरा ही है, जिसमें वे खाना भी बनाते हैं और सोते भी हैं। यह कमरा भी कच्चा है। प्रधानमंत्री आवास योजना से जहां लोगों को आशियाने मिल रहे हैं तो इस परिवार को अभी तक लाभ नहीं मिला है।

लोग कर रहे मदद-

अभी परिवार दो जून की रोटी के लिए भी लोगों की मदद पर निर्भर है। कुछ युवा हर माह कुछ आर्थिक सहयोग कर परिवार के खाने का इंतजाम कर रहे हैं।

मदद की जरूरत-

नरसिंगाराम के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। सरकारी तंत्र उसकी मदद को आगे आए तो परिवार को संबल मिल सकता है।

- लूम्भाराम बेनीवाल, सोडियार