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टिड्डी कीटनाशक खरीदने के लिए किसानों को नहीं करना पड़ेगा भुगतान

-पहले मिल रहा था 50 फीसदी अब मिलेगा शत-प्रतिशत अनुदान -सरकार सीधा सहकारी संस्था को देगी अनुदान की राशि

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Farmers will not have pay buy locust pesticides

Farmers will not have pay buy locust pesticides

बाड़मेर. कृषि विभाग ने टिड्डी प्रभावित इलाकों में किसानों की सहूलियत के लिए पौध संरक्षण रसायनों पर अनुदान प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब किसान बिना कोई भुगतान किए सहकारी संस्थाओं से रसायन खरीद सकेगा और अनुदान का भुगतान किसानों की खरीद के अनुसार सीधे सहकारी संस्थाओं को किया जाएगा।

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में किसान को पौध संरक्षण रसायन खरीदने के बाद अनुदान राशि का भुगतान संबंधित कार्यालय की ओर से ऑनलाइन किया जाता है। तात्कालिक जरूरत के मद्देनजर आदेश में आंशिक संशोधन किया गया है।

नए दिशा निदेर्शों के मुताबिक किसान कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं की सिफारिश के अनुसार क्रय विक्रय सहकारी समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति एवं लेम्पस से पौध संरक्षण रसायन खरीद सकेंगे। विभाग ने जरूरी औपचारिकता पूरी करने के लिए सहकारी संस्था पर ही कृषि विस्तार कार्यकर्ता नियुक्त कर दिए हैं ताकि काश्तकार को बिना किसी परेशानी के रसायन मिल जाए।

उन्होंने बताया कि प्रभावित किसान रसायन की खरीद निकटतम सहकारी संस्थाओं के माध्यम से करें। प्रभावित क्षेत्र में सहकारी संस्था नहीं होने की स्थिति में नजदीकी सहकारी संस्थाओं से कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं की सिफ ारिश अनुसार ही पौध संरक्षण रसायन खरीदें।

10 दिन में मिल जाएगी संस्थाओं को अनुदान की राशि

कृषि मंत्री ने बताया कि काश्तकारों को पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध कराने के बाद अनुदान राशि के क्लेम के लिए सहकारी संस्थाएं आवेदक किसानों की सूची जरूरी दस्तावेजों के साथ संबंधित उप निदेशक कृषि विस्तार या सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय में प्रस्तुत करेगी।

संबंधित कार्यालय क्लेम प्रस्तुत करने पर अनुदान राशि का भुगतान दस दिन में करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने बताया कि पूर्व में जारी अन्य दिशा निर्देश यथावत रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग ने किसान हित में 27 दिसंबर को संशोधित आदेश जारी कर टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में पौध संरक्षण रसायनों पर अनुदान 50 फ ीसदी या पांच सौ रुपए से बढ़ाकर वास्तविक लागत या अधिकतम एक हजार रुपए जो भी कम हो प्रति हैक्टेयर किया था।