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सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत

सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत -यहां अध्यापकों की डे्रस कोड से पहचान-स्कूल में लगाए फलदार पौधे, शिक्षकों ने अपनी मेहनत से चमकाया स्कूल ओम माली बाड़मेर. स्कूल जाने पर हर छात्र विद्यालय पोषाक पहन कर जाता है यह तो हर किसी को मालूम है लेकिन बाड़मेर शहर से 30 किलोमीटर दूर राउमावि गंगासरा में छात्रों के साथ अध्यापक भी ड्रेस कोड में आते हंै। 2019-20 से विद्यालय में सभी की सहमति से विद्यालय स्टॉफ ने भी अपने लिए ड्रेस कोड लागू कर

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सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत

सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत,सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत,सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत

सरकारी स्कूल बन रहे मिशाल, शिक्षकों के लिए डे्रस कोड और स्कूल परिसर को मेहनत उद्यान के रूप में खिल रही मेहनत----
-यहां अध्यापकों की डे्रस कोड से पहचान-स्कूल में लगाए फलदार पौधे, शिक्षकों ने अपनी मेहनत से चमकाया स्कूल
ओम माली
बाड़मेर. स्कूल जाने पर हर छात्र विद्यालय पोषाक पहन कर जाता है यह तो हर किसी को मालूम है लेकिन बाड़मेर शहर से 30 किलोमीटर दूर राउमावि गंगासरा में छात्रों के साथ अध्यापक भी ड्रेस कोड में आते हंै। 2019-20 से विद्यालय में सभी की सहमति से विद्यालय स्टॉफ ने भी अपने लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया। इस बीच जब कोरोना के कारण स्कूल बंद रहा तो शिक्षकों और स्टाफ ने मिलकर विद्यालय की सूरत ही बदल दी। ग्रामीणों का भी सहयोग लिया और स्कूल परिसर अब उद्यान जैसा नजर आता है।परिसर में लगाए फलदार पौधेबाड़मेर जिले में शिक्षा विभाग की ओर से राउमावि गंगासरा का चयन 100 फलदार पौधे लगाने के लिए किया गया था। जिसे शिक्षकों ने साकार किया और परिसर की वाटिका में अमरूद, अनार, आम, नारियल, बेर, नींबू, मौसमी, चीकू आदि के पौधे लगाए है।रविवार को भी नहीं लिया अवकाशविद्यालय में नुकलाराम डूडी और भगाराम सुथार ने वाटिका को तैयार करने में विशेष सहयोग किया। दोनों अध्यापक रविवार को भी अवकाश नहीं लेकर विद्यालय आते और पौधों की देखभाल करते रहे। वाटिका बनाने के लिए देवाराम देहडू, अमराराम गोदारा, रमेश कुमार जाखड़ और पदमाराम बेनीवाल ने आर्थिक सहयोग दिया।सभी के सहयोग से विद्यालय का बदला रूपविद्यालय को नया रूप देने में शिक्षकों के साथ ग्रामीणों का भी सहयोग रहा है। नवाचार को लेकर शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य किया गया है। वही पर्यावरण को शुद्ध रखने में यहां लगी वाटिका की देखरेख की जा रही है। भामाशाहों के साथ शिक्षकों ने भी अपना अंशदान दिया है।नारायणराम चौधरी, प्रधानाध्यापकराजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गंगासरा बाड़मेर


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