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करना था साइकिल पर सफर, चलना पड़ा पैदल

- प्रदेश की साढ़े तीन लाख बालिकाओं को नहीं मिली निशुल्क साइकिलें, पूरा सत्र इंतजार में बीता

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दिलीप दवे बाड़मेर. प्रदेश की 3. 5 लाख बालिकाएं पूरे साल पैदल चल कर स्कूल गई और नवीं कक्षा उत्तीर्ण कर दसवीं में आ गई लेकिन साइकिलें नहीं मिली। राज्य सरकार की निशुल्क साइकिल वितरण योजना के तहत साइकिलें सत्र आरम्भ में ही वितरित होनी थी लेकिन सत्र खत्म होने तक भी छात्राओं को नहीं मिली।
प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कक्षा नवीं में नियमित अध्ययनरत छात्राओं को राज्य सरकार की ओर से निशुल्क साइकिल वितरण योजना के तहत साइकिलें मिलती हैं। पिछले सत्र में कक्षा नवीं में तीन लाख पचास हजार बालिकाएं इस योजना से लाभान्वित होनी थी। इनके आवेदन जमा हो चुके थे लेकिन पूरे सत्र में साइकिल का इंतजार ही रहा। ऐसे में ये बालिकाएं पूरे साल पैदल चल कर ही स्कूल आई और नवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली।

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बॉर्डर के गांवों में समस्या ज्यादा
जिले के बॉर्डर की ग्राम पंचायतों में जहां राजस्व गांवों की मुख्यालय से दूरी अधिक है। वहीं आवागमन के साधन भी कम है। जिस पर साइकिलें बच्चियों के लिए विद्यालय व घर के बीच आवागमन का साधन है। विशेष कर गरीब तबके की बालिकाओं के लिए साइकिलें काफी फायदेमंद साबित हो रही है। ऐसे में बालिकाएं साइकिलों का इंतजार करती है।

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सत्र की शुरुआत में मिले साइकिलें
कक्षा नवमी की बालिकाओं को सत्र की शुरुआत में मिलने वाली साइकिल पूरा सत्र समाप्त होने के बाद भी नहीं मिल पाई है । इस योजना के तहत सत्र के शुरुआत में साइकिलें मिलने की व्यवस्था की जाए जिससे उसका उपयोग कर बालिकाएं स्कूल जा सके। — बसंत कुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा


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