
How to feed sheep, disillusionment
भेड़पालकों की हालत खस्ता : औने-पौने दामों में ऊन बेचनी हुई मजूबरी
नस्ल सुधार ना ऊन खरीद, कैसे पाले भेड़ें, हो रहा मोहभंग
सिवाना . उपखंड मुख्यालय पर भेड़ नस्ल सुधार व ऊन खरीद केन्द्र नहीं होने से भेड़पालन से भेड़पालकों को मोह भंग हो रहा है। इसके चलते एक और उन्नत नस्ल की भेड़ों का प्रजनन नहीं हो रहा तो ऊन की ब्रिकी के अभाव में भेड़पालकों को वाजिब दाम नहीं मिल रही। एेसे में भेड़पालन के प्रति पशुपालकों की रुचि कम हो रही है, जबकि पूर्व में सरकारी स्तर पर ऊन खरीद होने पर बड़ी संख्या में भेड़पालक भेड़पालन करते हैं।
आजादी बाद से ही उपखण्ड मुख्यालय पर भेड़ ऊन विभाग का कार्यालय खुला था। कार्यालय में अधिकारी सहित आठ कार्मिक कार्यरत थे। विभाग सरकारी स्तर पर भेड़पालकों से भेड़ों की ऊन खरीदता तो इन्हें नस्ल सुधार के लिए उन्नत नस्ल के मेढ़े भी उपलब्ध करवाता था। इससे अच्छे मिलते रोजगार पर बड़ी संख्या में भेड़पालक भेड़ों का पालन करते, लेकिन 15 वर्ष पूर्व सरकार ने भेड़ ऊन विभाग का कार्यालय बंद कर दिया। इस पर सरकारी स्तर पर ऊन की खरीद बंद होने से भेड़ पालक औन-पौने दामों में ऊन बेचने को मजबूरहैं। मेहनत जितना भी इन्हें ऊन का पैसा नहीं मिलता है। उन्नत नस्ल के मेढ़े नहीं मिलने पर भेड़पालन से भेड़पालकों का मोह भंग हो गया है। इने-गिने भेड़पालक ही भेड़पालन करते हैं। सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं करने से भेड़पालकों में रोष है।
सस्ते में बेच रहे ऊ न
&उपखंड, जिला व संभाग मुख्यालय पर सरकारी स्तर पर ऊन खरीद का कोई केन्द्र नहीं है। इस पर औन-पौने दामों में ऊन बेचनी पड़ती है। भेड़पालकों की हालत खस्ता है। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
- निंबाराम पंऊ, भेड़पालक
नस्ल सुधार के नहीं प्रयास
&नस्ल सुधार को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। पूर्व में संचालित कार्यालय बंद कर दिया गया है। भेड़पालन से मोहभंग हो रहा है। सरकार फिर से कार्यालय प्रारंभ करें। सरकारी स्तर पर केन्द्र खोल ऊन की खरीद करें। हरजीराम देवासी, कुसीप
Published on:
25 Dec 2018 07:29 pm
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