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नेपियर से दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी

—पशुपालकों के लिए फायदेमंद नेपियर घास —छह बीघा से कमा रहे छह लाख हाथीघास के नाम से मशहूर नेपियर घास से न केवल पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ता है, बल्कि उनका स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है। बाड़मेर जिले के सरहदी गांव जानपालिया के किसान बालाराम भाखर ने इसी हरी घास से क्षेत्र में पहचान बनाई है। 6 बीघा में फैली नेपियर से उन्हें प्रति वर्ष छह लाख की आय होती है।

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नेपियर से दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी

नेपियर से दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी

ढाई सौ किसानों ने इसे अपनाया
सात साल पहले किसान बालाराम ने अपने कृषि फार्म पर नेपियर घास लगाई थी। उनकी देखा-देखी गुड़ामालानी, सेड़वा व धोरीमन्ना क्षेत्र में 250 से अधिक किसान नेपियर घास को अपने खेतों में लगा चुके हैं।

पूरे वर्षभर हरा चारा
नेपियर घास का पौष्टिकता में ऊंचा स्थान है। इससे पशुधन को साल भर हरा चारा मिलता है। पशुओं की दुग्ध उत्पादक क्षमता में पचास फीसदी वृद्धि हो जाती है। घास को गौशालाओं में भी बेचा जाता है।

घास का बीज नहीं
नेपियर घास का बीज नहीं होता। इसके डंठल को नेपियर स्टिक कहते हैं। स्टिक को खेत में डेढ़ से दो फीट की दूरी पर रोपा जाता है। एक बीघा में 5,000 डंठल का रोपण होता है।

बजट में किया 23 करोड़ का प्रावधान
राज्य सरकार ने नेपियर घास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 23 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की है। इसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत पर 0.2 हैक्टेयर में नेपियर घास लगाई जाएगी।

धर्मसिंह भाटी — बाड़मेर


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