
जानिए, ऐसी कैसी मिली साइकिल की बेटियां पढऩे लगी
जानिए, ऐसी कैसी मिली साइकिल की बेटियां पढऩे लगी
रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
रेगिस्तान की बेटियां आठवीं बाद पढ़ाई छोड़ रही थी। स्कूल तीन किलोमीटर दूर और अब जाएं कैसे? पैदल तो रोज-रोज जाना सुरक्षा, थकान और दूरी तीनों हिसाब से उनको नवीं पढऩे के मानस को छोडऩे को मजबूर कर रहा था लेकिन इनको जब से साइकिल मिली है,तब से वे दूरी को पेंडल मारकर अपनी पढ़ाई को रेस दे रही है। एक दशक में नवीं-दसवीं में बढ़े बेटियों के आंकड़े इसको दर्शा रहे है। रेगिस्तान के वे दुरुह और दुर्गम गांव जहां नवीं-दसवीं के स्कूल मीलों दूर है,वहां अब बढ़ा नामांकन इसको दर्शा रहा है।
बोली बेटियां
दूरी के कारण पढ़ाई छोडऩा हमारे गांव में पहले होता था लेकिन अब साइकिल मिलने के बाद बेटियां इससे दूरी तय कर पढऩे आ रही है। इस कारण अब आठवीं में पढ़ाई नहीं छूटती।-सुशीला, गांव त्रिमोही - कक्षा 09
आठवीं में ही स्कूल छोड़ देते लेकिन साइकिल मिलने के बाद में नवीं पास की तो फिर दसवीं और अब ग्यारहवी में आ गई हूं। पढ़ाई नहीं छूटने से निरंतर जारी है।- मीरां, त्रिमोही, कक्षा 11
कक्षा नवीं में यों बढ़ रही बालिकाएं
2020-21-17078
2021-22-18327
2022-23-19174
2023-24-21451
फेक्ट फाइल- ये मिली इस साल साइकिल
बाड़मेर ग्रामीण-2406
आडेल-1221
बाड़मेर-2724
चौहटन-2950
धनाऊ-1474
फागलिया-1120
गडरारोड़-1098
गुड़ामालानी-1838
रामसर-1230
सेड़वा-1123
शिव-1695
कुल-21208
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Published on:
29 Feb 2024 07:44 pm
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