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जानिए क्यों है जोधपुर में सिलिकोसिस का इतना कहर?

बाड़मेर में 697,जैसलमेर में 106, जोधपुर प्रदेश में सबसे आगे 7473 रोगीपत्रिका लगातार- 31867 मजदूरों को सिलिकोसिस-192151 ने करवाया था पंजीयन

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जानिए क्यों है जोधपुर में सिलिकोसिस का इतना कहर?

जानिए क्यों है जोधपुर में सिलिकोसिस का इतना कहर?

बाड़मेर पत्रिका.
सिलिकोसिस की बीमारी ने बाड़मेर में 697 लोगों को जिंदगी और मौत से जूंझने को मजबूर कर दिया है। जांच करवाने वाले 4896 थे। बढ़ते रोग की वजह खनन और जिप्सम का काम करने वालों की बढ़ती संख्या है। हालांकि यह आंकड़ा जोधपुर के मुकाबले बहुत कम है। प्रदेश में सर्वाधिक सिलिकोसिस रोगी जोधपुर े में 7473 है, यहां 39692 ने जांच करवाई थी।
मजदूरों के सांस में तकलीफ और फेफड़ों में हल्का दर्द होते ही पहली आशंका सिलिकोसिस की बन जाती है। एक बार सिलिकोसिस की गिरफ्त में आया मजदूर तिल-तिल कर मरता है और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर पूरा परिवार इस रोग को भुगतता है।
बीपीएल घोषित करे
राज्य सरकार ने सिलिकोसिस पीडि़तों को बीपीएल घोषित कर इनको मदद का प्रावधान तो किया था लेकिन यह लागू नहीं हो पाया। रोग लगते ही मजदूर परिवार जो सुबह कमाकर शाम खाता है,उसके लिए कुछ ही दिनों में रोटी के लाले पड़ जाते है। इन परिवारों को बीपीएल घोषित करने की दरकार है।
यह है स्थितियां
पाटोदी का रहने वाला भंवराराम लंबे समय से दवा ले रहा है। एक बेटे की इसी रागे से मृत्यु हो गई। सिलिकोसिस रोग ने पूरे परिवार को दाने-दाने के लाले कर दिए है। सरकारी मदद भी समय पर नहीं मिलने से यह परिवार परेशान है।
अपीलेंट बोर्ड जाने को मजबूर
राज्य में 192151 ने पंजीयन करवाया लेकिन 31867 को ही सिलिकोसिस ब ताया गया। अधिकांश बीमार लोग इसको लेकर अब अपीलेंट बोर्ड में जा रहे है। अपीलेंट बोर्ड के अंतर्गत तीन डॉक्टरों की टीम होती है। जिसमें प्रोफेसर स्तर का रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक, चेस्ट एवं टीवी का चिकित्सक तथा मेडिसिन का एक डॉक्टर बैठता है। यह डॉक्टर मरीज की एक्स-रे रिपोर्टं के आधार पर ही आवेदक को सिलिकोसिस होने या ना होने का प्रमाण पत्र देते है। अगर आवश्यकता हो तो सीटी स्केन एवं अत्यधिक आवश्यकता में एमआरआई की जांच कराते है। इन जांचों के आधार पर आवेदक को सिलिकोसिस होने का प्रमाण पत्र देना है या नही यह तीन डॉक्टरों की कमेटी सुनिश्चित करती है। यहां तक हर मरीज नहीं पहुंच पाता और वह अपनी जिंदगी की लड़ाई से पहले ही हार मान रहा है।
लंबित प्रकरण नहीं रहे
राज्य में 1558 प्रकरण लंबित है। इन प्रकरणों का तुरंत निस्तारण होने के साथ एक मांग यह भी है कि जब 1 लाख 92 हजार ने जांच करवाई है तो रिजेक्ट बड़ी संख्या में ुहुए है। इनकी दुबारा जांच होनी चाहिए। ऐसा नहीं हों कि जांच में कहीं कमी रहने से सिलिकोसिस के मरीज भुगत रहे है और दूसरी बीमारी बताकर उनको टरका दिया गया है। यह बड़ा गंभीर मामला है। - लक्ष्मण बडेरा, अध्यक्ष कमठा युनियन
कहां कितने सिलिकोसिस रोगी
अजमेर-1135
अलवर-258
बांसवाड़ा-93
बारां-25
बाड़मेर-697
भरतपुर-2984
भीलवाड़ा-1240
बीकानेर-132
बूंदी-424
चित्तौडग़ढ़- 67
चुरू- 39
दौसा-1889
धौलपुर-1863
डूंगरपुर-21
जयपुर-636
जैसलमेर-106
जालौर-76
झालावाड़-121
झुंझूनू- 50
जोधपुर-7473
करौली-4253
कोटा-244
नागौर-1798
पाली-1171
प्रतापगढ़-16
राजसमंद-127
सवाई माधोपुर-198
सीकर-213
सिरोही-3163
टोंक-94
उदयपुर-1261
कुल-31867
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हहिकिह
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