
mausoleum of Khetaram Maharaj, center of attraction and faith
बालोतरा. Khetaram Maharaj Asotra शताब्दी दिव्य पुरुष, वेदों के ज्ञाता और ब्रह्मधाम आसोतरा के संस्थापक संत खेताराम महाराज की पुण्यतिथि पर शुक्रवार को देश के कोने-कोने से उनके अनुयायी ब्रह्मधाम आसोतरा पहुंचेंगे। खेताराम महाराज ने
भारत के विभिन्न प्रांतों की यात्रा कर विश्व के दूसरे सबसे विराट एवं भव्य ब्रह्मा मंदिर निर्माण के लिए समाज बंधुओं से धन संग्रह कर भारत के राजस्थान प्रांत के बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर से 10 किलोमीटर दूर गढ़ सिवाना रोड पर स्थित ग्राम आसोतरा में 5 मई 1961 को शुभ नक्षत्र- मुहूर्त में मंदिर की नींव रखी। जो पुष्कर के बाद विश्व का सबसे बड़ा एवं भव्य मंदिर है।
इसका निर्माण खेताराम महाराज के अनवरत अथक प्रयासों के बाद 24 वर्ष में हुआ। 5 मई 1984 को आपने तप, ज्ञान, ब्रह्म शक्ति का सिद्ध प्रयोग कर सृष्टि रचयिता श्रीब्रह्माजी को सपत्नीक धरती पर विराजित किया। भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित कर एक विशाल शक्ति धाम की कल्पना व संकल्प साकार कर मानव जाति का उत्थान किया। उक्त ब्रह्मधाम के दर्शन मात्र से मानव जाति का ह्रदय खिल जाता है।
आकर्षण व आस्था का केन्द्र खेताराम महाराज की समाधि
सृष्टि में यह शास्त्र सम्मत है कि सम्पूर्ण देवी-देवताओं के मंदिर एवं पूजा-अर्चना होगी,परन्तु ब्रह्माजी के मंदिर की नहीं होगी। यदि कोई सिद्ध पुरुष कितना ही दिव्य ज्ञाता हो, ब्रह्माजी का मंदिर बनाता है तो मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मुख्य यजमान को अपने प्राण छोडऩे होंगे अर्थात आसोतरा स्थित ब्रह्माजी की सपत्नीक मूर्ति प्रतिष्ठा के साथ ही खेतारामजी के प्राण उसी वक्त मूर्ति में विलीन हो गए।
परन्तु महाराज ने प्रतिष्ठा के 24 घंटे बाद 7 मई 1984 को शरीर त्यागा। धन्य है आप, नमन आपकी विशालतम समाधि, वैन्कुठधाम जो ब्रह्माजी मंदिर के ठीक सामने है। जहां दर्शन मात्र से कल्याण होता है।
mausoleum of Khetaram Maharaj, center of attraction and faith
तो समाज नई ऊंचाइयां छूता
यदि खेतारामजी महाराज कुछ समय के लिए हमारे बीच और रहते तो समाज नई ऊंचाइंया प्राप्त करता। समाज के धन का व्यापक सदुपयोग होता। खेतारामजी महाराज ने समाज को आदर्श व प्रेरणा दी, परन्तु उन आदर्शो पर कितना अमल हो रहा है, ये सोचने वाली बात है।
खेताराम महाराज आसोतरा का परिचिय
नाम - खेतारामजी राजपुरोहित, ब्रह्म वंश अवतार
पिता- शेरसिंह राजपुरोहित
माता- सणगारी देवी
जन्म- 22 अप्रेल 1912 विक्रम संवत 1969 वैशाख शुक्ला पंचमी
स्थान- ग्राम खेड़ा, तहसील-सांचोर, जिला-जालोर, राजस्थान
संन्यास- 12 वर्ष की उम्र में
गुरु दीक्षा- संत शिरोमणि श्रीगणेशानंद जी महाराज द्वारा
सुविख्यात नाम - ब्रह्म अवतार श्री श्री 1008 श्री खेतारामजी महाराज
असंभव कार्य- 5 मई 1984 को जगत पिता ब्रह्माजी का विश्व का दूसरा मंदिर आसोतरा में बनाया
निर्वाण- 7 मई 1984 समय-12: 36 बजे, स्थान ब्रह्म धाम आसोतरा, बाड़मेर
Updated on:
10 May 2019 05:15 pm
Published on:
10 May 2019 04:45 pm
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