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पति 6 बार विधायक तो पत्नी 6 बार सरपंच, हर बार निर्विरोध सरपंच चुनी जाती है भीखीदेवी

locationबाड़मेरPublished: Jan 23, 2020 12:17:01 pm

Submitted by:

dinesh Dinesh Saini

बाड़मेर में गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ( Hemaram Choudhary ) और उनकी पत्नी ने एक नया कीर्तिमान बनाया है। विधायक हेमाराम चौधरी 6 बार विधायक बने हैं तो उनकी पत्नी छठी बार सरपंच बनी है। फर्क इतना है कि हेमाराम को चुनाव लडऩा पड़ता है और पत्नी हर बार निर्विरोध सरपंच चुनी जाती है। Rajasthan Panchayat Election 2020 बाड़मेर जिले में लगातार निर्विरोध निर्वाचन का रेकॉर्ड बना रही भीखीदेवी ( Bhikhi Devi ) इस बार नई ग्राम पंचायत वीरेन्द्रनगर की सरपंच चुनी गई हैं…

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मूलाराम एन सारण

बाड़मेर। बाड़मेर में गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ( Hemaram Choudhary ) और उनकी पत्नी ने एक नया कीर्तिमान बनाया है। विधायक हेमाराम चौधरी 6 बार विधायक बने हैं तो उनकी पत्नी छठी बार सरपंच बनी है। फर्क इतना है कि हेमाराम को चुनाव लडऩा पड़ता है और पत्नी हर बार निर्विरोध सरपंच चुनी जाती है। Rajasthan Panchayat Election 2020 बाड़मेर जिले में लगातार निर्विरोध निर्वाचन का रेकॉर्ड बना रही भीखीदेवी ( Bhikhi Devi ) इस बार नई ग्राम पंचायत वीरेन्द्रनगर की सरपंच चुनी गई हैं। अपनी ग्राम पंचायत से भीखीदेवी के लगातार सरपंच चुने जाने का मुख्य आधार उनके पति हेमाराम चौधरी का प्रभाव और पंचायत में सरकारी योजनाओं के काम हैं।
बायतु पंचायत समिति की बायतु भीमजी ग्राम पंचायत में भीखीदेवी लगातार 5 बार सरपंच रहीं और इस बार नई ग्राम पंचायत वीरेन्द्रनगर अलग हुई तो भीखीदेवी को यहां से भी निर्विरोध चुनी गईं। नई ग्राम पंचायत भी विधायक हेमाराम के दिवंगत पुत्र वीरेन्द्र के नाम बनी है, जिसकी भीखीदेवी (मां) सरपंच चुनी गई हैं।
6 बार विधायक
हेमाराम चौधरी गुड़ामालानी से 6 बार विधायक चुने गए है। पूर्व में परिवार कल्याण मंत्री एवं राजस्व मंत्री रह चुके हैं। राज्य की राजनीति में हेमाराम कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं।
क्यों बार-बार चुना
हेमाराम चौधरी लगातार विधायक और मंत्री हैं, उनका प्रभाव- ग्राम पंचायत में टांका, सडक़, बिजली के कार्य प्राथमिकता से- मनरेगा में मजदूरों के खाते में सीधे रुपए जमा- पारदर्शिता के साथ काम।
हर बार एक जाजम
चुनावों से पहले ही हर बार ग्रामीण एक साथ बैठते हैं। कोई भी ग्रामीण चुनाव के लिए मानस बनाता है तो गांव की जाजम पर समझाइश होती है और हर बार ग्रामीण भीखीदेवी के नाम पर एकमत हो रहे हैं।
ग्रामीणों को मना नहीं कर पाते
– सरपंच बनने के बाद पिछले तीन बार से लगातार मना करते रहे हैं कि अब किसी और को बनाया जाए लेकिन ग्रामीण एकत्र होकर निर्णय कर लेते हैं। इसको हम मान रहे हैं। गांव की औरतों की सुनती हूं और विधायक पति को बताती हूं कि उनकी मांग क्या है? वे इस पर तत्काल कार्रवाई करते र्हं। जिससे विकास हो रहा है।
भीखीदेवी, सरपंच

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