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हत्या की चार्जशीट में न्यायालय ने खोली पुलिस की पोल! जानिए पूरी खबर

- न्यायालय ने उजागर की पुलिस जांच में खामियां, हत्या के मामले में पुलिस की अंधेरगर्दी  

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Barmer police news

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बाड़मेर. चौहटन थाने में दर्ज हत्या के मामले में पुलिस गिरफ्त में आए आरोपी को न्यायालय ने चार्जशीट में गंभीर खामियों के चलते संदेह का लाभ देते हुए जमानत पर रिहा किया गया। वहीं कोर्ट ने पुलिस की ओर से 91 दिन बाद 11 फरवरी को पेश की गई चार्जशीट पर सवाल खड़े कर पुलिस जांच में कई तरह की खामियों को उजागर किया। जिसमें पुलिस जांच अधिकारी ने खुद का आइडी प्रूफ शामिल नहीं किया गया।

साथ ही एक भी पुलिसकर्मी का साक्ष्य बंध पत्र शामिल नहीं था। ऐसे में जाहिर है कि पुलिस अधिकारियों ने गंभीर लापरवाही बरतते हुए हत्या के आरोपियों को बचाने का काम किया है। न्यायालय ने चार्जशीट को अधूरा मानते हुए आरोपी बलवंतसिंह को डिफॉल्ट बेल का मौका देते हुए रिहा करने के आदेश दिए। अब पीडि़त परिवार हत्या के मामले में कार्रवाई की मंग को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। पीडि़त परिवार का आरोप है कि आरोपी जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं।

यह था पूरा मामला
चौहटन थाना क्षेत्र के ढोक गांव में 5 नवंबर 2019 को रूपकंवर पत्नी श्रवणसिंह खेत में थी। इस दौरान आरोपी बांकसिंह उर्फ बलवंतसिंह, राणसिंह, रेवंतसिंह सहित अन्य लोग आए और उसे बंधक बनाकर मारपीट करने लगे। तभी विवाहिता का पति श्रवणसिंह मौके पर पहुंचा तो आरोपियों ने उस पर हमला कर दिया। इसके बाद महिला के ससुर शेरसिंह मौके पर आए थे। हमले में शेरसिंह व श्रवणसिंह गंभीर घायल हो गए। गंभीर घायल शेरसिंह की 11 दिन बाद जोधपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर 6 दिन बाद आरोपी बलवंतसिंह को गिरफ्तार किया था।

चार्जशीट में ये गंभीर खामियां
- मामले में मेडिकल विशेषज्ञ डॉ.इमरान शेख के साक्ष्य बंध-पत्र पर नहीं है हस्ताक्षर
- 4 अनुसंधान साक्षी के नहीं लिए गए पहचान पत्र
- आरोपी की तलाश व जब्ती साक्ष्यों के नहीं लिए पहचान पत्र
- पंचायतनामा व शव साक्षी के नहीं लिया पहचान पत्र
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जांच अधिकारी खुद ने नहीं दिया आईडी पू्रफ
हैड कांस्टेबल हनुमानराम, कांस्टेबल मदनसिंह, कांस्टेबल बाबूलाल, थानाधिकारी प्रेमाराम चौधरी, उप निरीक्षक चनणाराम मामले में पुलिस के साक्षी है। इसके बावजूद जार्चशीट में इनके साक्ष्य बंध पत्र शामिल नहीं किए गए हैं। इतना ही नहीं जांच अधिकारी डिप्टी अजीतसिंह व एएसआइ रावताराम ने अपने साक्ष्य पत्र भी शामिल नहीं किए। इससे पुलिसकर्मियों की गंभीर लापरवाही सामने आई है।
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पीडि़त पर परिवार को धमकाने का आरोप
पीडि़त परिवार का आरोप है कि जमानत पर रिहा हुए आरोपी ने जेल से बाहर आते ही जान से मारने की धमकी दी। परिवार के साथ सैकड़ो ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक से एक दिन पूर्व मिलकर पुलिस कार्यप्रणाली पर आक्रोश व्यक्त किया। आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपियों से मिलीभगत कर चार्जशीट में गंभीर खामियां रखी गई, इससे हत्या के आरोपी को जमानत मिल गई।