
Pachpadra Refinery (Patrika Photo)
बालोतरा: राजस्थान के सबसे बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट पचपदरा रिफाइनरी को अब सीधे रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी तेज हो गई है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने बालोतरा से पचपदरा के बीच करीब 11 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
रेलवे बोर्ड से स्वीकृति मिलते ही इस रूट के सर्वे का काम शुरू कर दिया जाएगा। रेलवे सूत्रों के अनुसार, इस सर्वे पर करीब 33 लाख रुपए खर्च होंगे। इसके लिए गत महीने जोनल रेलवे की ओर से बोर्ड को पत्र भेजकर स्वीकृति मांगी गई है।
जानकारी के अनुसार, रिफाइनरी से प्रतिदिन हजारों टन उत्पादन होगा। यदि इसका आधा हिस्सा भी रेलवे के माध्यम से ढुलाई होता है, तो रेलवे को सालाना सैकड़ों करोड़ रुपए का अतिरिक्त माल राजस्व प्राप्त होगा। वहीं, रेल कनेक्टिविटी मिलने के बाद रिफाइनरी से पेट्रोल, डीजल, नेफ्था सहित अन्य पेट्रोलियम उत्पाद सीधे वैगन के माध्यम से देश के बड़े शहरों और बंदरगाहों तक पहुंच सकेंगे।
इससे सप्लाई लागत में कमी आएगी और ईंधन की आपूर्ति श्रृंखला तेज होगी। साथ ही भारी मशीनरी और कच्चे माल का सुरक्षित, कम समय और कम लागत में आवागमन संभव हो सकेगा। यह रेलवे के लिए आर्थिक दृष्टि से भी एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी।
उत्तर पश्चिम रेलवे की यह प्रस्तावित नई लाइन भविष्य में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से माल कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगी। डीएफसी से जुड़ने के बाद पचपदरा रिफाइनरी के उत्पाद देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों तक तेजी से पहुंच सकेंगे।
वहीं, रेल कनेक्टिविटी से न केवल रिफाइनरी संचालन को गति मिलेगी। बल्कि उद्योग, रोजगार और निवेश के नए अवसर भी पैदा होंगे। ऐसे में नए साल में इस परियोजना को लेकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू होने की संभावना है।
पश्चिमी राजस्थान में निर्माणाधीन रिफाइनरी सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदलने वाला मेगा प्रोजेक्ट बनकर उभर रहा है। रिफाइनरी से जुड़ी नई रेल लाइन को भी औद्योगिक विकास की रीढ़ माना जा रहा है, जो न सिर्फ लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाएगी। बल्कि रोजगार और निवेश के नए अवसर भी खोलेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेल लाइन भविष्य में पश्चिमी राजस्थान की औद्योगिक प्रगति की मुख्य धुरी बन सकती है। रिफाइनरी आधारित सहायक उद्योगों को इससे बड़ा लाभ मिलेगा। तेज और सुगम परिवहन व्यवस्था निवेशकों के लिए क्षेत्र को और आकर्षक बनाएगी तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार के व्यापक अवसर सृजित होंगे। माल की तेज आवाजाही से व्यावसायिक दक्षता में भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
उत्तर पश्चिम रेलवे की यह प्रस्तावित लाइन भविष्य में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) से जुड़कर देशव्यापी माल परिवहन नेटवर्क को और मजबूत करेगी। डीएफसी कनेक्टिविटी मिलने पर रिफाइनरी से तैयार उत्पाद पूर्वी और पश्चिमी तटों तक बेहद कम समय में पहुंच सकेंगे।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि नए वर्ष में इस परियोजना पर जमीनी कार्य शुरू होने की संभावना काफी प्रबल है। इस दृष्टि से यह प्रोजेक्ट पश्चिमी राजस्थान को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाने वाला साबित होगा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी के अनुसार रिफाइनरी की कई अहम यूनिट्स पूरी हो चुकी हैं। इनमें क्रूड डिस्टिलेशन यूनिट (CDU), वैक्यूम डिस्टिलेशन यूनिट (VDU), फ्यूल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट (FHTU), तथा डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट (DHTU) शामिल हैं। सभी पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन EIA और SIA की प्रक्रियाएं भी पूरी की जा चुकी हैं, जिससे स्पष्ट है कि परियोजना तकनीकी के साथ पर्यावरणीय मानकों को भी ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है।
रिफाइनरी प्रोजेक्ट में अब तक 52,877 करोड़ से अधिक का निवेश हो चुका है और इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। परियोजना के कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली-पानी, प्रशिक्षण केंद्र और आधारभूत सुविधाएं तेजी से विकसित हो रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों का जीवनस्तर बेहतर हो रहा है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि मदन राठौड़ का कहना है कि बाड़मेर रिफाइनरी ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक सशक्त मिसाल बन रही है। रिफाइनरी के पूरी तरह शुरू होने पर भारत की क्रूड ऑयल पर विदेशी निर्भरता घटेगी, निर्यात बढ़ेगा और विदेशी मुद्रा की भारी बचत होगी।
Updated on:
09 Dec 2025 02:09 pm
Published on:
09 Dec 2025 02:08 pm
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