यानि सैनिकों के लिए सब पर्वों से बड़े हैं राष्ट्रीय पर्व। पत्रिका ने स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर देश की
पश्चिमी सीमा पर पहुंचकर जवानों से बात की तो देशभक्ति का जज्बे के साथ ही अब बदली जिंदगी से वे काफी राहत महसूस कर रहे हंै।
धारा 370 कश्मीर से हटाने के बाद देश की उत्तरी सीमा में काफी गर्मागर्मी है तो पश्चिमी के बॉर्डर पर आपरेशन ऑफ अलर्ट के बावजूद काफी सुकून है। 15 अगस्त को सभी चौकियों पर तिरंगे लहराए गए और जवानों ने तिरंगे को सेल्यूट किया।
पाकिस्तान ने इस सीमा से भी भारत से मिठाई नहीं ली है। बीएसएफ के जवान और अधिकारी कहते हैं कि देश की रक्षा करने वाले हर वक्त तैयार रहते हैं।
अलर्ट और हाइ अलर्ट कभी भी सकता है और वर्दी पहनने का मतलब ही देश की
रक्षार्थ मुस्तैद रहना है, इसलिए हम हर वक्त तैयार है। पाकिस्तान की ओर से कार्यवाही के सवाल पर कहते हैं कि इधर से तो 1965 और 1971 में भी मात खाई थी…।
मोबाइल ने दिया सुकून एक दशक पहले जवानों के लिए बॉर्डर पर हालात मुश्किल थे लेकिन अब काफी सुकून है। वे बताते हैं कि मोबाइल सुविधा मिलने के बाद घर-परिवार पर आसानी से बात हो जाती है। पर्व पर वीडियो कॉल और कॉल होने से काफी राहत मिलती है, एेसे लगता है परिवार पास में है।
पश्चिमी सीमा के लोगों की तारीफ बीएसएफ के जवान कहते हैं कि यहां के लोग देश के सैनिक की तरह है। सेना की पूरी मदद करना और उनको इतनी इज्जत देते हैं। इन लोगों ने हर युद्ध में सेना का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है। एेसे नागरिक जिस सीमा पर हों वहां कौन आगे बढऩे की हिम्मत कर सकता है।