
Barmer news
भवानीसिंह राठौड़@बाड़मेर.
बाड़मेर जिले में पैंथर व अन्य खतरनाक वन्यजीव पकडऩे के लिए वन विभाग के पास कोई इंतजाम नहीं है। इतना ही नहीं, वन विभाग के पास पिंजरा भी नहीं है। हर बार कोई पैंथर पहुंचने की सूचना पर वन विभाग की टीम तो मौके पर पहुंच जाती है, लेकिन उसे पकडऩे के लिए कोई संसाधन नहीं है। ऐसे में टीम महज लाठी के दम पर दूर से निगरानी करने के लिए मजबूर हो जाती है।
गन है, पर चलानी नहीं आती
वन्यजीवों को ट्रैंकुलाइज करने के काम आने वाली महंगी गन तो वन विभाग के पास उपलब्ध है, लेकिन किसी भी वनकर्मी के प्रशिक्षित नहीं होने से इस गन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके लिए वन विभाग के ट्रैंकुलाइज करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं, इसलिए जोधपुर से टीम बुलानी पड़ रही है। ट्रैंकुलाइज के लिए चिकित्सक नियमानुसार गन में दवा भरता है और फिर गन में करता है।
यह दुस्साहस क्या काम आया?
वनकर्मियों के पास में संसाधन नहीं होने पर वे एक तरफ बैठ कर इंतजार कर रहे थे कि प्रशिक्षित आ जाए तो फिर कार्रवाई करें। इस दौरान एक दुस्साहसी युवक आगे आया और उसने कहा कि वह खुद ही पैंथर को निकाल देगा, ऐसा क्या है? इसे रोका गया, लेकिन नहीं माना।
कहां से आ रहे है पैंथर
अरावली की पर्वत शृंखला में सिरोही-जालौर तक पैंथर देखे जाते रहे हैं, लेकिन नहरी क्षेत्र बढऩे के बाद अब गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, सिवाना और चौहटन तक नहर के रास्ते-रास्ते पैंथर आने लगे हैं।
इतना खतरनाक है पैंथर
हाल ही की घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि दुस्साहसी युवक ने करीब बीस फीट दूरी से पैंथर के एक बड़ा बांस लगाया, ताकि वो बाहर आए। बांस लगते ही पैंथर ने छलांग लगाई और उस युवक के पंजा मारा। युवक उल्टा घूम गया और कमर के नीचे जहां वार हुआ वहां से मांस का लोथड़ा अलग हो गया और पैंथर एक ही सैकण्ड में पलट कर वापस झाड़ी में चला गया।
-
केस.1
सेड़वा के अरटी गांव में सोमवार को एक पैंथर पहुंचा, यहां पैंथर ने दो जनों पर हमला किया। सूचना पर वनकर्मी मौके पर पहुंचे, लेकिन वे न तो पैंथर पकड़ पाए और नहीं कोई इंतजाम थे। दो दिन बाद यह पैंथर जालोर की तरफ लौट गया।
केस-2
जनवरी 2018 में एक पैंथर बाड़मेर पहुंचा, जो सिवाना से होते हुए चौहटन तक पहुंचा। कई गांवों में दहशत फैली और चार ग्रामीणों को घायल किया। उसके तीन दिन बाद जोधपुर की टीम ने सेड़वा क्षेत्र में न तो ट्रैंकुलाइज किया ।
केस.3
जनवरी 2017 में शहर के निकटवर्ती गालाबेरी में दो पैंथर दिखे। उसके बाद दो दिन वन विभाग की टीम ने रैस्क्यू ऑपरेशन चलाए, लेकिन पैंथर पकड़ में नहीं आए। यहां उस वक्त धोरों में जोधपुर से पहुंची टीम ने पिंजरा लगा कर काफ ी प्रयास किए गए।
-
- गन है, प्रशिक्षित वनकर्मी नहीं
वन्य जीवों को ट्रैंकुलाइज करने के लिए गन तो उपलब्ध है, लेकिन वनकर्मी प्रशिक्षित नहीं हैं। ऐसे में समस्या रहती है। ट्रैंकुलाइज करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं हैं, इसलिए जोधपुर से टीम बुलानी पड़ रही है।- संजीव भादू, डीएफओ, वन विभाग, बाड़मेर।
-
Published on:
12 Dec 2021 08:14 pm
बड़ी खबरें
View Allबाड़मेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
