
अब अंगूठा छाप भी बन पाएंगे सरपंच और प्रधान
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बाड़मेर पत्रिका.
अब गांव की सरकार का मुखिया अंगूठा लगाने वाला भी बन सकेगा। राज्य निवार्चन आयोग ने शैक्षणिक योग्यता के प्रावधान को हटाने के आदेश जारी किए हैं। इसके बाद जनप्रतिनिधि के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। प्रदेश में पंचायतीराज विभाग के तहत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के लिए चयनित होने वाले जनप्रतिनिधियों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी। कम से कम आठवीं उत्तीर्ण ही जनप्रतिनिधि बनने के लिए आवेदन कर सकता था। इसके चलते कई जने तो उक्त योग्यता नहीं रखते थे वे चुनाव लडऩे से वंचित रह रहे थे पर अब एेसा नहीं होगा। राज्य की कांग्रेसनीत सरकार ने जनप्रतिनिधियों के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त करने का निर्णय केबिनेट की बैठक में लिया था। इस पर राज्य निर्वाचन आयोग ने मुहर लगाते हुए आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार पंचायती राज अधिनियम 1994 में संशोधन किया गया है। आयोग ने संयुक्त शासन सचिव (विधि ) पंचायतराज विभाग के पत्र क्रमांक का हवाला देते हुए जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और सरपंचों के निर्वाचन के लिए लागू शैक्षणिक योग्यता के प्रावधानों को हटा दिया है।
फर्जी डिग्री से लड़े चुनाव, जेल भी गए- जिले सहित प्रदेश में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता के चलते फर्जी डिग्री व शैक्षणिक प्रमाण पत्र से चुनाव लड़ कई जने जनप्रतिनिधि बन गए। इसकी शिकायतें भी हुई और जांच में कई जने दोषी पाए गए। इस पर काफी जनप्रतिनिधियों को फर्जीवाड़े के चलते जेल भी जाना पड़ा। जिले के एेसे करीब सवा सौ मामले सामने आए थे। इनमें से काफी जनों को जेल की हवा खानी पड़ी।
यह है योग्यता- वर्तमान में राज्य सरकार ने सरपंच का चुनाव लडऩे के लिए न्यूनतम योग्यता आठवीं उत्तीर्ण तय की है। वहीं पंचायत समिति व जिला परिषद के सदस्य, प्रधान व जिला प्रमुख के चुनाव लडऩे के लिए दसवीं पास उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
सर्कुलर आया है
शैक्षणिक योग्यता को लेकर सरकार ने पूर्व में लागू प्रावधान में परिवर्तन किया है। सरकार की ओर से सर्कुलर जारी किया गया है।
हिमांशु गुप्ता जिला कलक्टर बाड़मेर
Published on:
01 Jun 2019 09:52 pm
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