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प्यासे रेगिस्तान में हिलोरे मार रहे हैं तेल-गैस-पानी के समंदर

-बाड़मेर- सांचौर बेसिन बना तीन समंदर का संगमएक नजर में फैक्ट -480 करोड़ लीटर पानी-780 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल -35900 करोड़ घनफीट गैस

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Oil-gas-water sea in Barmer

Oil-gas-water sea in Barmer

रतन दवे

बाड़मेर. कुदरत ने जिस रेगिस्तान को सदियों तक बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाया उसकी कोख में तेल-पानी और गैस के समंदर हिलोरे मार रहे हैं। बाड़मेर-सांचौर बेसिन के 3111 वर्ग किमी इलाके में पानी की खोज के साथ ही अब तय हो गया है कि तेल-गैस और पानी तीनों के समंदर इस जमीन के भीतर है। सदियों तक अभावों और प्यास में जी रहे बाड़मेर में करतार ने अजब कारीगरी कर रखी थी।

यों समझें बाड़मेर- सांचौर बेसिन

बाड़मेर- सांचौर बेसिन 3111 वर्ग किमी में फैला है। यहां वर्ष 2004 में देश की सबसे बड़ी तेल खोज मंगला हुई और इसके बाद 38 तेल कुओं से तेल उत्पादन हो रहा है। प्रतिदिन यहां 1.75 लाख बैरल तेल उत्पादित हो रहा है जो 2022 तक रिफाइनरी बनने तक 5.5 लाख बैरल तक पहुंच जाएगा।

क्रूड ऑयल 750 से 2000 मीटर तक की गहराई पर मिला है। ताजा अनुमान के मुताबिक इस जमीन में 780 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल है। एक बैरल में 130 लीटर होता है, यानि तेल का पूरा समंदर है।

350 मीटर पर रेत में समंदर

इसी बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 350 मीटर पर अब पानी के बड़े खजाने की खोज हुई है जो तेल से कहीं ज्यादा है। मंगला के बाद इस पानी के खजाने को सरस्वती नदी से जोड़ते हुए देखा जा रहा है। यह 480 करोड़ लीटर के करीब प्रारंभिक अनुमान में है जो एक सागर से कम नहीं है।

भू-वैज्ञानिकों की मानें तो कुदरत ने इस पानी को मुट्ठी में बांधकर रखा हुआ था। इसके चारों तरफ चट्टान और चूना पत्थर है।

35900 करोड़ घनफीट गैस

इसी इलाके में 35900 घनफीट प्राकृतिक गैस है। अभी रोगेश्वरी टर्मिनल गुड़ामालानी से 5.5 करोड़ घनफीट गैस का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। आने वाले पंद्रह साल में रोजाना 10 करोड़ घनफीट करने का लक्ष्य है।

प्राकृतिक गैस का ये खजाना भी कच्छ के रण तक को छू रहा है। रागेश्वरी गैस फील्ड में अभी 1700 मीटर की गहराई में गैस मिली हुई है।

प्रकृति का वरदान

यह प्रकृति का वरदान है। तेल, गैस और पानी तीनों ही जमीन के अंदर है। क्षेत्र वही है और अलग-अलग परत पर इन तीनों की मौजूदगी है। तेल और गैस की एक साथ मौजूदगी रहती है लेकिन सुप्त सरस्वती की वजह से यहां पानी का बड़ा सागर मिलने का अनुमान है।

- प्रो. सुरेश माथुर, भू-वैज्ञानिक


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