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खुले मुनाबाव बॉर्डर के गेट, रेशमा की माटी को मिली वतन की मिट्टी

पत्रिका की मुहिम को मिला मुकाम-रेशमा का शव भारत को सुपुर्द, अगासड़ी गांव में किया सुपुर्द-ए-खाक

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बाड़मेर. भारत और पाकिस्तान के एेतिहासिक निर्णय के बाद बाड़मेर जिले के अगासड़ी गांव की 65 वर्षीय रेशमा का शव मंगलवार दोपहर 1.10 बजे भारत पहुंचा। मानवता के लिए पहली बार मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोले गए और पाकिस्तान रेंजर्स ने रेशमा को जन्नत नसीब होने की दुआओं के साथ शव भारत को सुपुर्द किया। अगासड़ी गांव में रेशमा का शव वतन की माटी में सुपुर्द-ए -खाक किया गया।


गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 27 जुलाई के अंक में 'बाड़मेर की महिला का पाकिस्तान में इंतकाल, परिजन परेशान, कैसे लाएंगे शव?Ó शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इसे विदेश मंत्री को ट्वीट किया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खबर को रीट्वीट कर पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त को मामले में मदद के निर्देश दिए थे। उसी दिन पाकिस्तान से शव लाने की इजाजत मिल गई लेकिन परिजन ने वीजावधि बढ़ाने के लिए कागजात पाक उच्चायोग में जमा करवा दिए थे।

इस दिन अवकाश के बावजूद मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पाकिस्तान में कार्यालय खुला। हालांकि दूरी ज्यादा होने से वे थार एक्सप्रेस तक नहीं पहुंच पाए। इसके लिए रेल को पाकिस्तान के खोखरापार जीरो लाइन स्टेशन पर डेढ घंटा रोका भी गया। इसके बाद भी पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित कर मुहिम जारी रखी।

सोमवार रात इस्लामाबाद स्थित उच्चायोग ने रेशमा के शव के साथ उसके बेटे शायब को मुनाबाव बॉर्डर के रास्ते जाने की विशेष अनुमति दी। सुबह मीरपुर खास से उच्चायोग अधिकारी जीरो लाइन रेलवे स्टेशन (पाकिस्तान) पहुंचे। यहां इमिग्रेशन एवं जांच की प्रक्रिया के बाद दोपहर 1.10 बजे मुनाबाव के गेट खोलकर शव भारत को सौंपा गया। बीएसएफ की सुरक्षा में एम्बुलेंस में शव को मुनाबाव रेलवे स्टेशन लाया गया। यहां भारत की ओर से इमिगे्रशन व कस्टम की कार्रवाई पूर्ण कर करीब 3 बजे परिजन को शव सुपुर्द किया गया।

मानवता सबसे ऊपर
वीजा कागजात को लेकर कुछ भूल होने से रेल चूक गए थे। फिर सड़क मार्ग का जरिया था। मैं आश्वस्त था कि शव इस रास्ते आ जाएगा। इसके लिए इस्लामाबाद में उच्चायोग के अधिकारियों और कुछ अन्य परिचित अधिकारियों से संपर्क किया। सबकी मदद ली और शव को भारत लाया गया। पाकिस्तान के अधिकारियों ने पूरा सहयोग किया। राजस्थान पत्रिका का आभार व्यक्त करता हूं कि इस मुद्दे को गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ उठाया।

- मानवेन्द्रसिंह, विधायक शिव

सुकून मिला, नेक काम हुआ
रेशमा का शव भारत आने के बाद सुकून मिला कि एक नेक काम हुआ। मानवता के इस कार्य में सहयोग करने वाले सभी लोगों और विशेष रूप से राजस्थान पत्रिका का आभार जिसने इस मुद्दे को संजीदगी से उठाया।

- शिव प्रसाद मदन नकाते, जिला कलक्टर

यूं चला घटनाक्रम

25 जुलाई को बाड़मेर की रेशमा का पाकिस्तान में इंतकाल
27 जुलाई को राजस्थान पत्रिका में 'बाड़मेर की महिला का पाक में इंतकाल, परिजन परेशान कैसे आएगा शव?Ó समाचार प्रकाशित

27 जुलाई को सुबह पत्रिका ने इस खबर को किया विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट, स्वराज ने इसे रीट्वीट कर मदद के दिए निर्देश
27 जुलाई शाम को ही मिल गई शव लाने की अनुमति

28 जुलाई को वीजा कागजात में देरी से थार एक्सप्रेस चूक गए परिजन, फिर सड़क मार्ग से लाने के प्रयास हुए शुरू
30 जुलाई को हुआ एेतिहासिक निर्णय, मुनाबाव बॉर्डर से शव लाने की मिली अनुमति

31 जुलाई दोपहर 1.10 बजे मुनाबाव बॉर्डर से भारत पहुंचा रेशमा का शव


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