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पंचों की पहल ना सरपंचों की पंचायती, कैसे रुके कोरोना

- जनप्रतिनिधियों की सक्रियता के बिना सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो रही - केस ज्यादा, समझाइश कम, कोरोना ढहा रहा कहर

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पंचों की पहल ना सरपंचों की पंचायती, कैसे रुके कोरोना

पंचों की पहल ना सरपंचों की पंचायती, कैसे रुके कोरोना

बाड़मेर. जिले में बढ़ते कोरोना के बीच जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के चलते इस पर लगाम नहीं लग रहा। गांव हो या फिर शहर, हर जगह पंच, सरपंच और पार्षद सक्रिय नजर नहीं आते। स्थिति यह है कि अधिकांश जगह न तो लोगों से घरों से बाहर नहीं निकलने की समझाइश हो रही है और ना ही आमजन को जनप्रतिनिधि जानकारी दे रहे हैं।

एेसे में कोरोना न तो गांवों में कम हो रहा है और ना ही शहरों में। जरूरत है तो बस जनप्रतिनिधियों की सक्रियता की। जिले में ६८९ ग्राम पंचायतें हैं, जिसमें इतने ही सरपंच है। वहीं, करीब पांच हजार वार्ड पंच है। २१ पंचायत समितियों में पांच सौ पंचायत समिति सदस्य और ३७ जिला परिषद सदस्य है। बाड़मेर व बालोतरा में अस्सी वार्ड पार्षद है। जनप्रतिनिधियों की इतनी तादाद होने के बावजूद जनता कोरोना का कहर झेल रही है, क्योंकि ये लोग सक्रिय नहीं है। जनप्रतिनिधि मिलकर ठान ले तो जनता को कोरोना से बचाया जा सकता है, जरूरत मात्र इतनी है कि हर वार्ड में पार्षद या वार्ड पंच जाकर समझाइश करे और जनता से घरों में रहने की अपील करे। एेसा होने से कोरोना की चेन टूट सकती है।

निगरानी कमेटियां गठित, साथ में जुडऩे की जरूरत- प्रशासन ने कोरोना रोकथाम को लेकर हर ग्राम पंचायत व शहर के वार्ड में निगरानी कमेटियां गठित कर रखी है। इनसे ये प्रतिनिधि जुड़ जाए तो एक तरफ जहां निगरानी कमेटियां सक्रिय हो जाएगी तो दूसरी ओर जनता अपने प्रतिनिधि के समझाइश करने पर कोरोना की भयावहता को समझ सकेगी।

जनप्रतिनिधि ही बचा सकते हैं जिंदगियां- वर्तमान हालात में गांवों में लोगों की आवाजाही रोकने, लॉकडाउन की पूर्ण पालना करवाने में इन जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। जनप्रतिनिधि दुकानदारों, आमजन से समझाइश कर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, टीकाकरण, समय पर जांच, कोरोना के लक्षण होने पर होम आइसोलेशन की पालना करवा आमजन की जिंदगियां बचा सकते हैं।

शहरों में भी नहीं सक्रियता- बाड़मेर शहर में भी कोरोना की चेन नहीं टूट रही। गलियों तक कोरोना पहुंच चुका है, लेकिन पार्षद नजर नहीं आते। समझाइश का दौर वे शुरू कर दे तो भी काफी हद तक लोगों की आवाजाही रुक सकती है।

सभी समझें अपना कर्तव्य, विपदा में रहें सक्रिय- जनप्रतिनिधि हालांकि अपनी तरफ से गांवों में कोरोना बचाव में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी भी ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है। आमजन के कोरोना के प्रति जागरूक करने के लिए सरपंचों से निवेदन है कि वे जनता को जानकारी दे, लॉकडाउन की पालना करवाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखवाएं। सभी अपना कर्तव्य समझें और सक्रिय रह कर कोरोना की चेन को तोड़ें।- हिंदूसिंह तामलोर, जिलाध्यक्ष सरपंच संघ बाड़मेर


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